केरल के दक्षिणी हिस्से के खासी ईसाई आबादी वाले पथनमथिट्टा जिले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने समुदाय के साथ सीधा संपर्क साधने का प्रयास किया और कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ए.के. एंटनी के बेटे अनिल के. एंटनी को युवाओं के प्रतीक के रूप में पेश किया। पिछले साल कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामने वाले अनिल एंटनी के संदर्भ में मोदी ने कहा, “केरल की राजनीति में इसी तरह की ताजगी की जरूरत है।” एंटनी पथानामथिट्टा लोकसभा सीट से पार्टी के उम्मीदवार भी हैं।
एनडीए कार्यकर्ताओं और समर्थकों की बड़ी सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले लोकसभा चनाव 2019 में भाजपा का मतप्रतिशत दहाई में था और इसलिए केरल में दहाई में सीटों का लक्ष्य भी ज्यादा दूर नहीं। वेटिकन में पोप फ्रांसिस के साथ अपनी मुलाकात को याद करते हुए मोदी ने इस दक्षिणी जिले में महत्वपूर्ण उपस्थिति रखने वाले ईसाई समुदाय के साथ संपर्क जोड़ते हुए कहा, “पिछले चुनाव में केरल में लोगों ने हमें दहाई में मतप्रतिशत हासिल करने वाली पार्टी बनाया। और अब, सीटों के दोहरे अंकों में पहुंचने की हमारी नियति भी दूर नहीं है।”
पिछले महीने कोट्टायम जिले के पूंजर में एक कैथोलिक पादरी को एक वाहन द्वारा टक्कर मारने की घटना का स्पष्ट संदर्भ देते हुए मोदी ने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केरल में चर्च के पादरी भी हिंसा से सुरक्षित नहीं हैं।” उन्होंने राज्य में माकपा के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) और कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) पर भी हमला किया। उन्होंने आरोप लगाया कि केरल के लोग इन दोनों मोर्चों की लगातार “भ्रष्ट और अक्षम” सरकारों से पीड़ित हैं।
आगामी लोकसभा चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के उम्मीदवारों के लिए यहां सार्वजनिक अभियान को संबोधित करते हुए, मोदी ने दावा किया कि राज्य के लोगों ने एलडीएफ और यूडीएफ सरकारों के तहत कठिनाइयों का सामना किया है और कथित तौर पर भ्रष्टाचार व अक्षमता से त्रस्त हैं। उन्होंने एलडीएफ शासन के तहत राजनयिक माध्यम से सोने की तस्करी और पिछले यूडीएफ शासन के तहत सौर पैनल घोटाले का मुद्दा उठाते हुए दोनों मोर्चों पर कटाक्ष किया। मोदी ने दावा किया कि लोगों को तभी फायदा होगा जब लगातार एलडीएफ, यूडीएफ सरकारों का चक्र टूटेगा क्योंकि वे कथित तौर पर केवल वोट-बैंक की राजनीति पर केंद्रित हैं।
प्रधानमंत्री ने यह भी तर्क दिया कि एलडीएफ और यूडीएफ दोनों की सोच और विचारधारा पुरानी है और केरल के लोगों की प्रगतिशीलता और दूरदर्शी सोच के बिल्कुल विपरीत है। उन्होंने यह भी कहा कि एलडीएफ और यूडीएफ दोनों सरकारों ने रबर किसानों के संघर्षों से आंखें मूंद ली हैं। उन्होंने दावा किया, “इसके अलावा, राज्य की कानून-व्यवस्था की स्थिति में भी काफी गिरावट आई है।” उन्होंने आरोप लगाया कि केरल में कॉलेज “कम्युनिस्ट गुंडों” के गढ़ बन गए हैं।
मोदी ने लोगों से उन्हें आशीर्वाद और पूर्ण समर्थन देने का अनुरोध किया और इस बात की गारंटी दी कि उनकी (लोगों की) इच्छाओं को पूरा करने में उनकी तरफ से कोई कोर-कसर नहीं रखी जाएगी। उन्होंने कहा, “यह मोदी की गारंटी है।” उन्होंने एक और ‘गारंटी’ यह दी कि जब भी और जहां भी कोई भारतीय किसी मुसीबत में होगा, सरकार मजबूती से उनके साथ खड़ी रहेगी। उन्होंने यह बात कोविड-19 महामारी सहित विभिन्न उदाहरणों का जिक्र करते हुए कही, जिसके दौरान विदेशों में फंसे भारतीयों को देश वापस लाया गया था। जनसभा में एनडीए के लोकसभा उम्मीदवार वी. मुरलीधरन (अटिंगल), अनिल के. एंटोनी (पथानामथिट्टा), शोभा सुरेंद्रन (अलाप्पूझा) और बैजू कालासला (मावेलीक्कारा) समेत अन्य नेता भी मौजूद थे। उनके अलावा हाल ही में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुईं पद्मजा वेणुगोपाल भी मंच पर मौजूद थीं।
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