हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के रास्ते अलग हो सकते हैं. लोकसभा चुनाव में सीट शेयरिंग पर सहमति नहीं बन पाने के कारण दोनों का गठबंधन टूट सकता है. हरियाणा के डिप्टी सीएम और जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला ने सोमवार को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी, लेकिन सीट शेयरिंग पर सहमति नहीं बन पाई. अब सवाल ये उठता है कि क्या जेजेपी से गठबंधन टूटने के बाद खट्टर सरकार गिर जाएगी. ऐसे में विधानसभा का गणित क्या है, ये जानना अहम हो जाता है.
हरियाणा विधानसभा में 90 सीटें हैं. बीजेपी के पास 41, जेजेपी के 10 और कांग्रेस के 30 विधायक हैं. इसके अलावा निर्दलीय 7, हरियाणा लोकहित पार्टी 1 और 1 इंडियन नेशनल लोकदल का विधायक है. विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 48 है. 7 निर्दलीय विधायकों में से 6 बीजेपी के साथ हैं. गोपाल कांडा की हरियाणा लोकहित पार्टी भी बीजेपी के साथ है. यानी बीजेपी को कुल 48 विधायकों का साथ है, जो बहुमत के आंकड़े से ज्यादा है.
जेजेपी दो सीटों पर दावा कर रही
सूत्रों के मुताबिक, उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने सोमवार को दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी इसमें सीट शेयरिंग पर सहमति नहीं बनी है. जेजेपी हिसार और भिवानी-महेंद्रगढ़ दो सीटों पर दावा कर रही है जिसे बीजेपी देने को तैयार नहीं है. सिरसा में पार्टी कार्यकारिणी की बैठक के बाद दुष्यंत चौटाला ने हरियाणा की हिसार और भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीटों पर दावा जताते हुए कहा था कि जिस तरह से NDA गठबंधन के तहत बीजेपी ने छोटे अलायंस दलों को एडजस्ट किया है और उनका ध्यान रखा है तो उन्हें उम्मीद है कि हरियाणा में भी जेजेपी के बारे में कोई फैसला लिया जाएगा.
दुष्यंत चौटाला ने कहा कि इसके अलावा पार्टी हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की भी तैयारी कर रही है. हम बीजेपी से हिसार और भिवानी-महेंद्रगढ़ दो सीटों को प्राथमिकता के साथ मांगने का प्रयास करेंगे, लेकिन कौन सी सीट दी जांएगी ये गठबंधन की बैठक के दौरान तय होगा. दुष्यंत चौटाला ने कहा कि बीजेपी के साथ लोकसभा चुनाव में गठबंधन को लेकर दो दौर की बातचीत हो चुकी है.
बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी हरियाणा की सभी 10 सीटों पर जीत हासिल की थी. अभी बीजेपी के 9 सांसद हैं. एक अंबाला वाली सीट सांसद की मृत्यु के चलते रिक्त है. खास बात ये कि बीजेपी हरियाणा में बिना गठबंधन के लोकसभा में जाने का मन पहले ही बना चुकी थी. लेकिन बीजेपी ये नहीं चाहती कि उसपर जेजेपी से गठबंधन तोड़ने का आरोप लगे, लिहाजा बीजेपी राज्य की सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकती है.
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