12 मार्च 1993. मुंबई अपनी रफ्तार से दौड़ रही थी. तभी किसी की नजर लग गई. देश की आर्थिक राजधानी में स्थित बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की 28 मंजिला बिल्डिंग के बेसमेंट में दोपहर करीब 1ः30 बजे जोरदार ब्लास्ट हुआ. इसमें 50 लोगों की जान चली गई. आधा घंटा बाद ही एक कार में ब्लास्ट हुआ. इसके बाद तो एक-एक कर दो घंटे के भीतर पूरी मुंबई 13 धमाकों से दहल उठी. इनमें 257 लोगों की मौत हो गई, जबकि सात सौ से ज्यादा लोग घायल हो गए. बाद में हमले के 180 आरोपियों को पकड़ा गया. फिर 129 को आरोपी बनाया गया. सौ लोगों को कोर्ट ने दोषी करार दिया. इनमें से 12 को फांसी की सजा सुनाई गई. 20 को उम्रकैद मिली. इन बम ब्लास्ट में करीब 27 करोड़ रुपये की संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा था. इस घटना की बरसी पर आइए जान लेते हैं बम ब्लास्ट की पूरी कहानी.
1993 का 12 मार्च मुंबई के काले इतिहास में दर्ज है. इस दिन दोपहर में सबसे पहले बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की बिल्डिंग की बेसमेंट में खड़ी एक कार में पहला ब्लास्ट हुआ था. इससे 28 मंजिला इमारत को बुरी तरह से नुकसान पहुंचा. अकेले इसी इमारत में 50 लोगों की मौत हुई थी. इसके बाद अगले 2.10 घंटे में यानी 3:40 बजे तक पूरी मुंबई एक-एक कर 13 ब्लास्ट से हिल गई थी. इन धमाकों के लिए आर्थिक राजधानी के सामान्य भीड़-भाड़ वाले स्थानों को चुना गया था. इनमें माहिम कॉजवे, प्लाजा सिनेमा, झवेरी बाजार, सेंचुरी बाजार, काथा बाजार, एयर इंडिया की बिल्डिंग, होटल सी रॉक, होटल जुहू सेंटॉर,वर्ली, मछुआरा कॉलोनी और पासपोर्ट ऑफिस शामिल थे.
वैसे तो इस हमले में मृतकों की संख्या 257 बताई गई थी. 700 लोगों के घायल होने की पुष्टि हुई थी. हालांकि, कुछ और मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि मृतकों की संख्या 300 के ऊपर थी. ऐसे ही घायलों की संख्या लगभग 1400 तक थी.
दाउद इब्राहिम था हमलों का मास्टरमाइंड
इन हमलों की जांच शुरू हुई तो पता चला कि पाकिस्तान में बैठे अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम इनका मास्टरमाइंड था. इस साजिश में दाउद का साथ दिया था उसके विश्वसनीय साथी टाइगर मेमन ने. सऊदी में बैठे भारतीय स्मगलरों ने इन हमलों के लिए धन उपलब्ध कराया था. इसके अलावा भारतीय अधिकारियों ने इनके पीछे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ होने की भी आशंका जताई थी. इन हमलों में शामिल आतंकवादियों में से कई को पाकिस्तान में प्रशिक्षण और हथियार मिले थे.
संजय दत्त का नाम आने पर सब चौंक गए थे
मुंबई बम ब्लास्ट केस की जांच के दौरान आश्चर्यजनक रूप से फिल्म अभिनेता संजय दत्त का नाम भी सामने आया था. दरअसल, पुलिस साजिश रचने वालों को तलाश रही थी, तभी जांच में पता चला था कि इसमें बॉलीवुड के भी कुछ लोग शामिल हैं. शक के आधार पर पुलिस ने फिल्म प्रोड्यूसर हनीफ कड़ावाला और समीर हिंगोरा को पूछताछ के लिए बुलाया था. तब संजय दत्त इनकी फिल्म ‘सनम’ में काम कर रहे थे.हनीफ ने शुरू में तो पुलिस के सामने मुंह नहीं खोला पर बाद में कहा था कि पुलिस हमेशा छोटी मछली पकड़ती है और बड़े दोषी घूमते रहते हैं.
एयरपोर्ट पर पुलिस ने किया था गिरफ्तार
उधर, संजय दत्त का नाम सामने आते ही पुलिस उनको गिरफ्तार करने पहुंच गई. तब वह मॉरीशस में फिल्म ‘आतिश’ की शूटिंग कर रहे थे. वह मुंबई लौटे तो पुलिस ने गिरफ्तार कर एयरपोर्ट से सीधे मुंबई क्राइम ब्रांच ले जाया गया था. संजय दत्त ने तब कबूल कर लिया था कि उनके पास एके-56 है. उन पर टाडा एक्ट लगाकर जेल भेज दिया गया था. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि संजय दत्त को दाउद इब्राहिम के भाई अनीस इब्राहिम ने हथियार दिए थे.
संजय दत्त को पांच साल की हुई थी सजा
संजय दत्त को नवंबर 2006 में पिस्तौल और एके-56 राइफल रखने का दोषी पाया गया था. हालांकि, दूसरी कई संगीन मामलों से उन्हें कोर्ट ने बरी कर दिया था. 19 अप्रैल 1993 को गिरफ्तार संजय को 2006 में 5 साल की सजा दी गई थी. इसके बाद दया याचिकाएं दायर की गईं. इन पर सुनवाइयों का दौर चला और अंततः संजय को फरवरी 2013 में सजा दी गई. साल 2016 में वह अपनी सजा पूरी कर यरवदा जेल से रिहा हो गए थे.
10 हजार पन्नों की थी प्राथमिक चार्जशीट
वैसे इस मामले में 4 नवंबर 1993 को 10 हजार पन्नों की प्राथमिक चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की गई थी. इसमें 189 लोग आरोपी बनाए गए थे. बाद में 19 नवंबर 1993 को इस मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया गया था. मुंबई की टाडा अदालत में 19 अप्रैल 1995 को इस मामले की सुनवाई शुरू हुई थी. दो महीने के दौरान अभियुक्तों के खिलाफ आरोप तय किए गए थे.
अक्तूबर 2000 में अभियोग पक्ष के सभी गवाहों के बयान पूरे हुए और अक्तूबर 2001 में अभियोग पक्ष ने अपनी दलीलें समाप्त की थीं. सितंबर 2003 में सुनवाई पूरी हो गई और सितंबर 2006 में कोर्ट ने फैसला सुनाना शुरू कर दिया था. बाद में बचे 123 अभियुक्तों में से 12 को निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी. 20 और लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी. 68 और लोगों को अलग-अलग सजा सुनाई गई, जबकि 23 लोगों को निर्दोष मानते हुए कोर्ट ने बरी कर दिया था.
एक ही परिवार के चार सदस्य पाए गए थे दोषी
कोर्ट ने इन धमाकों में जिन लोगों को दोषी पाया था, उनमें एक ही परिवार के चार सदस्य भी शामिल थे. ये थे यकूब मेमन, यूसफ मेमन, इसा मेमन और रुबिना मेमन. इनको साजिश रचने और आंतकवाद को बढा़वा देने का दोषी पाया गया था. ये सभी टाइगर मेमन के रिश्तेदार थे. इस मामले में मुस्तफा दौसा, अब्दुल कय्यूम, ताहिर टक्लया, करीमुल्लाह, फिरोज अब्दुल राशिद खान और रियाज सिद्दीकी भी आरोपी थे. बिना गिरफ्तार किए ही इनके खिलाफ भी कोर्ट में सुनवाई हुई थी. वहीं, एक और आरोपी अबु सलेम को नवंबर 2005 में पुर्तगाल से प्रत्यर्पण कर भारत लाने में सफलता मिली थी.
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