सागर। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व खुरई के पूर्व विधायक अरुणोदय चौबे भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम रहे हैं। चौबे सागर लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस के सबसे मजबूत दावेदार थे, लेकिन उन्होंने रविवार को अचानक इंटरनेट मीडिया में पोस्ट कर सांसद पद से दावेदारी वापस लेने की बात लिखी। इसके बाद सोमवार को भाजपा में शामिल हों गए। सितंबर 2022 में भी अरुणोदय चौबे ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दिया था, तब माना जा रहा था कि वे भाजपा में शामिल होंगे, लेकिन पार्टी छोड़ने के बाद वे अज्ञात रहे, लेकिन विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगते ही 10 अक्टूबर 2023 को कांग्रेस पार्टी का फिर से दामन थाम लिया था। हालांकि वे खुरई क्षेत्र से विधानसभा का चुनाव नहीं लड़े थे। कुछ दिन से अरुणोदय चौबे क्षेत्र में अधिक सक्रिय थे। भाजपा का लोकसभा प्रत्याशी घोषित होने के बाद उन्होंने जनसंपर्क और बढ़ा दिया था, लेकिन बीते रोज अचानक इंटरनेट मीडिया पर अपनी पोस्ट डालकर सांसद पद की दावेदारी से इनकार किया।
विवादों में अकेले करना पड़ा संघर्ष, नहीं मिला साथ
16 सितंबर 2022 को भी अरुणोदय चौबे ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया था। इस्तीफे की वजह 2022 के शुरुआत में खुरई में सेल्फ़ी पाइंट विवाद में भाजपा कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच जमकर झड़प थी। जिसके बाद कई कांग्रेस कार्यकर्ताओं सहित अरुणोदय चौबे पर भी मामले दर्ज हुए थे। उन्हें इन विवादों से अकेले उलझना पड़ा। पार्टी द्वारा साथ नहीं दिए जाने पर उन्होंने इस्तीफे दिया था। इस्तीफे में उन्होंने साफ तौर पर लिखा है कि 30 वर्षों से कांग्रेस पार्टी की सेवा कर रहा हूं। लेकिन हाल ही में खुरई में कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ जो बर्ताव हुआ उससे मैं और खुरई के सभी कार्यकर्ता दुखी है। अत: मैं प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, टीकमगढ़ जिला प्रभारी और कांग्रेस के सदस्य पद से इस्तीफा दे रहा हूं।
हो सकती है नई शुरुआत
गौरतलब है कि सागर जिले में कांग्रेस पार्टी के एक समय के दिग्गज नेता अब भाजपा में शामिल हैं। भाजपा में आने के बाद यह नेता मंत्री, महापौर, जिला पंचायत अध्यक्ष व जनपद अध्यक्ष जैसे पदों पर हैं।
भूपेंद्र सिंह से पहले जीते बाद में हारे
पूर्व विधायक अरुणोदय चौबे कांग्रेस से 2008 में चुनाव जीते थे। उन्होंने भाजपा के भूपेन्द्र सिंह को हराया था, लेकिन 2013 के चुनाव में उन्हें भाजपा के भूपेन्द्र सिंह ने पराजित कर दिया। सिंह इसके बाद कैबिनेट मंत्री भी बन गए। 2018 में भी उन्हाेंने चौबे काे हराया। लेकिन 2018 के बाद चौबे पर कई मामले दर्ज हुए। इनमें पार्टी ने साथ नहीं दिया।
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