Ramadan 2024: इस्माल धर्म में रमजान का महीना सबसे पवित्र माना जाता है यानि इस महीने को बहुत ही पाक माना जाता है. मुस्लिम समाज के लोगों को रमजान के महीने का बड़ी बेसब्री से इंतजार रहता है. रमजान शुरू होते ही पूरे एक महीने तक रोजा रखते हैं और फिर ईद मनाते हैं. लेकिन इस बार रजमान-ए-पाक का महीना शुरू होने की तारीख को लेकर लोग असमंजस में हैं. तो आइए जानते हैं कि रमजान महीने का पहला रोजा कब रखा जाएगा और सहरी- इफ्तार का क्या समय रहेगा.
इस्लाम धर्म में रमजान के पूरे महीने भर मुस्लिम समाज के लोग रोजा यानी उपवास रखते हैं और अपना ज्यादा से ज्यादा समय अल्लाह की इबादत में बिताते हैं. मुस्लिम धार्मिक मान्यताओं अनुसार रमजान महीना इसलिए पाक माना जाता है क्योंकि इस महीने मोहम्मद साहब को साल 610 में लैलत उल-कद्र के मौके पर पवित्र पुस्तक कुरान शरीफ का ज्ञान प्राप्त हुआ था.
कब दिखेगा चांद
अगर भारत में 10 मार्च को रमजान का चांद दिख जाता है तो पहला रोजा 11 मार्च को रखा जाएगा. अगर ऐसा नहीं हुआ तो 12 मार्च से रमजान का पहला रोजा शुरू होगा. आमतौर पर सऊदी अरब में चांद दिखने के एक दिन बाद भारत में चांद नजर आता है. इसलिए अक्सर भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में रमजान का पहला रोजा सऊदी अरब के पहले रोजे के एक दिन बाद शुरू होता है. चांद दिखने के अगले दिन से ही रमजान का पवित्र महीना शुरू हो जाता है.
रमजान का महत्व
ऐसी मान्यता है कि रमजान के माह में खुदा की रहमत बरसती है. लेकिन रमजान शुरू होने से पहले चांद का दिखना बहुत महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि चांद के दीदार होने के बाद ही रोजेदार पहले रोजा रखते हैं. इस्लाम धर्म के अनुसार, रमजान के महीने में ही पवित्र धर्मग्रंथ कुरान शरीफ को जन्नत से पृथ्वी पर उतारा गया था. इस दौरान लोग रोजा रखते हैं और जकात करते हैं.
कितनी बार पढ़ी जाती है नमाज
- नमाज-ए-फजर (उषाकाल की नमाज) – इस नमाज को सुबह के समय सूर्य निकलने से पहले अदा की जाती है.
- नमाज-ए-जुह्र (अवनतिकाल की नमाज) – यह दूसरी नमाज है जिसे सूर्य के ढलने से कुछ समय पहले अदा की जाती है.
- नमाज -ए-अस्र (दिवसावसान की नमाज) – इस नमाज को सूर्य के अस्त होने के थोड़ी देर पहले अदा की जाती है.
- नमाज-ए-मग़रिब (सायंकाल की नमाज)- इस नमाज को सूर्यास्त के तुरंत बाद अदा की जाती है.
- नमाज-ए-इषा (रात्रि की नमाज)- यह अंतिम नमाज है जिसे सूर्यास्त के डेढ़ घंटे बाद अदा की जाती है.
इसके अलावा रमजान में तरावीह की नमाज अदा की जाती है. यह नमाज-ए-ईशा के तुरंत बाद पढ़ी जाती है. इस नमाज की खास बात ये है कि रमजान की पूरी अवधि में इमाम साहब तरावीह की नमाज में पूरा कुरआन सुनाते हैं.
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