बंगाल में जिस ‘डबल-M’ फॉर्मूले से सत्ता पर काबिज हैं ममता, उसके एक ‘M’ पर पीएम मोदी की नजर

पश्चिम बंगाल टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी का मजबूत दुर्ग माना जाता है. ममता बनर्जी डबल-M फार्मूला यानि मुस्लिम और महिला वोटों के सहारे बंगाल की सत्ता में अपना दबदबा बनाए हुए हैं और 2024 में क्लीन स्वीप का टारगेट सेट किया. लोकसभा चुनाव की सियासी सरगर्मी के बीच संदेशखाली की घटना ने बीजेपी को ममता बनर्जी पर हमला करने का मौका दे दिया है. साथ ही बीजेपी की नजर टीएमसी के डबल-एम फॉर्मूल में से एक एम (महिला) वोटों में सेंधमारी का है. इसी मद्देनजर पीएम मोदी ने बुधवार को नॉर्थ 24 परगना में नारी शक्ति वंदन कार्यक्रम में संदेशखाली घटना के बहाने ममता बनर्जी पर जमकर निशाना साधा और साथ ही बंगाल की माताओं-बहनों को अपना परिवार बताया.

पीएम मोदी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में टीएमसी के राज में महिलाओं के साथ अत्याचार हो रहे हैं. संदेशखाली में जो हुआ वो शर्मनाक है. उन्होंने कहा कि ममता सरकार को महिलाओं के अत्याचारी पर भरोसा है. संदेशखाली में जो हुआ, उससे शरीर शर्म से झुक गया. टीएमसी सरकार के खिलाफ महिलाएं आक्रोशित है और ममता सरकार को बहन-बेटियों पर भरोसा नहीं रह गया. गुनहगार के बचाने के लिए ममता सरकार पूरा जोर लगा रही है, लेकिन टीएमसी को ध्वस्त करने के लिए नारी शक्ति निकल चुकी है. ममता सरकार बहन बेटियों को सुरक्षा नहीं दे सकती और महिलाओं का भला नहीं चाहती. पीएम मोदी ने कहा कि बीजेपी बंगाल की बहनों की बुलंद आवाज है.

प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी का कार्यक्रम नार्थ 24 परगना जिले में था. इसी जिले के संदेशखाली गांव की महिलाओं ने पूर्व टीएमसी नेता शाहजहां शेख और उनके साथियों पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे. इसके अलावा टीएमसी नेताओं पर जमीन हड़पने के भी आरोप लगाए गए थे. इसके चलते टीएमसी ने शाहजहां शेख को पार्टी से निष्कासित भी कर दिया है, लेकिन संदेशखाली की घटना से बंगाल में लोगों में टीएमसी के खिलाफ गुस्सा पैदा हो गया है. ऐसे में टीएमसी का आरोप है कि बीजेपी और आरएसएस इस घटना पर सियासत कर रहे हैं. सियासी लाभ लेने के लिए आदिवासी बनाम अल्पसंख्यक का नैरेटिव सेट कर रही है.

महिलाओं को लुभाने में जुटे पीएम मोदी

पीएम मोदी ने नार्थ 24 परगना जिले में संदेशखाली की घटना उठाया ही नहीं, बल्कि पीड़ित महिलाओं से मुलाकात की. पीएम मोदी ने इससे पहले ही शुक्रवार को हुगली जिले के आरामबाग में एक रैली को संबोधित करते हुए संदेशखाली घटना को उठाया. इस दौरान उन्होंने कहा था कि पूरा देश बंगाल की स्थिति और मां, माटी की वकालत करने वालों को आचरण को देख रहा है.टीएमसी नेताओं ने संदेशखाली की माताओं-बहनों के साथ जो किया, उसे देखकर देश भर के लोग दुखी और गुस्से में हैं. महिला सशक्तिकरण के लिए काम करने वाले समाज सुधारक राजा राममोहन राय की आत्मा इस तरह के अत्याचारों को देखकर दुखी होगी.

प्रधानमंत्री ने इंडिया गठबंधन की तुलना ‘गांधी जी के तीन बंदर’ से किया और संदेशखाली में महिलाओं पर अत्याचार के मुद्दे पर चुप रहने के लिए आलोचना की. उन्होंने कहा कि आने वाले चुनावों में मुस्लिम महिलाएं भी बीजेपी को वोट देंगी, जबकि टीएमसी सोचती है कि उसे ‘कुछ’ समुदायों का समर्थन मिलेगा, जो इस बार नहीं होगा. विपक्ष पर निशाना साधते हुए पीएम ने कहा कि ये लोग पूछते हैं कहां है मेरा परिवार? पश्चिम बंगाल की हर माताएं-बहनें मोदी का परिवार है. आज हर देशवासी मोदी को अपना परिवार कह रहा है. देश का हर गरीब मोदी को अपना परिवार कह रहा है.

संदेशखाली के महिलाओं पर अत्याचार को बीजेपी ने बनाया मुद्दा

दिलचस्प बात यह है कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी को ममता बनर्जी को इस बार घेरने के लिए कोई बड़ा मुद्दा नहीं मिल रहा था. ऐसे में संदेशखाली की घटना ने बीजेपी को ममता बनर्जी के खिलाफ सियासी माहौल बनाने का मौका दे दिया है. यही वजह है कि संदेशखाली की घटना के दूसरे दिन ही बीजेपी पूरे दमखम के साथ उतर गई है और टीएमसी को कठघरे में खड़ा करना शुरू कर दिया.

इतना ही नहीं संदेशखाली घटना को लेकर बीजेपी के लगातार हमलों और जमीनी स्तर पर नाराजगी को लेकर बचाव की मुद्रा में टीएमसी को तब और झटका लगा जब बीजेपी ने भोजपुरी अभिनेता-गायक पवन सिंह को आसनसोल से अपनी उम्मीदवारी वापस लेने का काम किया. इसके पीछे वजह यह थी कि पवन सिंह के गानों में बंगाली महिलाओं पर अश्लील बोल थे, जिसे लेकर टीएमसी संदेशखाली की घटना का डैमेज कन्ट्रोल करना चाहती थी.

मुस्लिम और महिला वोटबैंक ममता का रहा है फोकस

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सियासी ताकत मुस्लिम और महिला वोटबैंक है, जिसके सामने लेफ्ट से लेकर बीजेपी तक सामना नहीं कर सकी. ममता लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री इन्हीं डबल-एम के दम पर बनी है, लेकिन संदेशखाली घटना ने 2024 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी के सियासी चुनौती खड़ी करने का काम किया है. बीजेपी इस घटना पर टीएमसी को घेर कर 2024 में अपनी 18 लोकसभा सीटों को बढ़ाकर 20 के पार ले जाना चाहती है जबकि ममता बनर्जी संदेशखाली घटना के डैमेज कन्ट्रोल में जुटी हैं.

ममता बनर्जी ने महिलाओं को लोकलुभान के लिए हर दांव चल रही है. इस कड़ी में ममता बनर्जी ने ऐलान किया है कि आशा बहनें और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को रुपये की पारिश्रमिक राशि बढ़ा दी है. उन्होंने कहा कि आशा कार्यकर्ताएं हमारी गौरव हैं, क्योंकि वे बहुत मेहनत करती हैं. वो हर बुरे वक्त में हमारा साथ देते हैं. ऐसे में मुझे इसकी घोषणा करते हुए खुशी हो रही है. आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को 8250 रुपए मिलते हैं, लेकिन अब अप्रैल से उनके वेतन में 750 रुपये की बढ़ोतरी की गई है. आईसीडीएस हेल्पर्स को करीब 6000 रुपये मिलते हैं, लेकिन अप्रैल से इनकी सैलरी में 500 रुपये की बढ़ोतरी की गई है. उन्होंने कहा कि मेरी यही कामना है कि वे जीवन में अच्छा करें और मां-माटी-मानुष वाली सरकार हमेशा जनता के साथ रहे.

सरकारी योजनाओं में महिलाओं को प्राथमिकता

महिलाएं ममता बनर्जी की सदा ही फोकस रही हैं. 2021 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी ने महिलाओं को लेकर मुद्दा बनाया था और नारा दिया था कि ‘बांग्ला निजेर मेयके चाय’ इसका अर्थ है कि बंगाल खुद की बेटी को चाहता है. इसी तरह से तीसरी बार सरकार के गठन के पहले ममता बनर्जी ने कन्याश्री और लक्ष्मी भंडार जैसी योजनाएं शुरू की हैं. कन्याश्री के तहत बालिकाओं को प्रति माह छात्रवृत्ति और 25 साल की उम्र में विवाह पर एकमुश्त राशि दी जाती है.

इसी तरह से लक्ष्मी भंडार के तहत महिलाओं को प्रति माह 1000 रुपए और एससी-एसटी की महिलाओं को 15000 रुपए प्रति माह दिये जा रहे हैं. इसी तरह से स्वास्थ्य बीमा योजना स्वास्थ्य साथी की पहली लाभार्थी महिला को ही बनाया गया है. यानी परिवार की मुखिया महिलाओं को बनाया गया है. इसके तहत बंगाल सरकार पांच लाख रुपए के चिकित्सा का खर्च वहन करती है.

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