उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव आज (29 फरवरी) सीबीआई के सामने पेश नहीं होंगे। केंद्रीय एजेंसी ने खनन घोटाला मामले में अखिलेश यादव को तलब किया था। सीबीआई ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव को बतौर गवाह बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस भेजा था। अखिलेश यादव को आज ही दिल्ली आकर अपना बयान दर्ज कराना था, लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सपा प्रमुख आज सीबीआई के सामने पेश नहीं होंगे।
CBI ने अवैध खनन मामले में गुरुवार को अखिलेश यादव को किया था तलब
मिली जानकारी के मुताबिक, केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मामला दर्ज करने के 5 साल बाद अवैध खनन मामले में समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को बृहस्पतिवार को पूछताछ के लिए एक गवाह के रूप में बुलाया है। अधिकारियों ने बताया कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 160 के तहत जारी नोटिस में एजेंसी ने उन्हें 2019 में दर्ज मामले के संबंध में 29 फरवरी को पेश होने के लिए कहा था। इस धारा के तहत पुलिस अधिकारी को जांच में गवाहों को बुलाने की अनुमति होती है। मामला ई-निविदा प्रक्रिया का कथित उल्लंघन कर खनन पट्टे जारी करने से संबंधित है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस मामले की जांच के दिए थे आदेश
बता दें कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस मामले की जांच के आदेश दिए थे। आरोप है कि 2012-16 के दौरान, जब यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तो लोकसेवकों ने अवैध खनन की अनुमति दी और खनन पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के बावजूद अवैध रूप से लाइसेंस का नवीनीकरण किया। यह भी आरोप है कि अधिकारियों ने खनिजों की चोरी होने दी, पट्टाधारकों और चालकों से पैसे वसूले। खनिजों के अवैध खनन के मामले की जांच के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश पर सीबीआई ने 2016 में सात प्रारंभिक मामले दर्ज किए थे।
अखिलेश यादव के कार्यालय ने एक ही दिन में 13 परियोजनाओं को दी थी मंजूरी
अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यालय ने एक ही दिन में 13 परियोजनाओं को मंजूरी दी थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि यादव, जिनके पास कुछ समय तक खनन विभाग भी था, ने ई-निविदा प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए 14 पट्टों को मंजूरी दी थी, जिनमें से 13 को 17 फरवरी 2013 को मंजूरी दी गई थी। सीबीआई ने दावा किया कि 17 फरवरी, 2013 को 2012 की ई-निविदा नीति का उल्लंघन करते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद, हमीरपुर की जिलाधिकारी बी. चंद्रकला द्वारा पट्टे दिए गए थे।
2017 में गायत्री प्रजापति को बलात्कार के आरोप में कर लिया गया था गिरफ्तार
एजेंसी ने 2012-16 के दौरान हमीरपुर जिले में खनिजों के कथित अवैध खनन की जांच के सिलसिले में आईएएस अधिकारी बी चंद्रकला, समाजवादी पार्टी (सपा) के विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) रमेश कुमार मिश्रा और संजय दीक्षित (जिन्होंने बसपा के टिकट पर 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ा था) सहित 11 लोगों के खिलाफ अपनी प्राथमिकी के संबंध में जनवरी 2019 में 14 स्थानों पर तलाशी ली थी। प्राथमिकी के अनुसार, यादव 2012 और 2017 के बीच राज्य के मुख्यमंत्री थे और 2012-13 के दौरान खनन विभाग उनके पास था जिससे जाहिर तौर पर उनकी भूमिका संदेह के घेरे में आ गई। साल 2013 में उनकी जगह गायत्री प्रजापति ने खनन मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था जिन्हें चित्रकूट निवासी एक महिला द्वारा बलात्कार का आरोप लगाए जाने के बाद 2017 में गिरफ्तार कर लिया गया था।
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