सीएम केजरीवाल आज भी नहीं हुए ED के सामने पेश, समन को बताया गैरकानूनी

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आज कथित शराब घोटाले केस में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने पेश होना था, सवाल खड़ा हो रहा था कि क्या केजरीवाल इस बार पेश होंगे, जिसका जवाब आम आदमी पार्टी (AAP) ने दे दिया है. AAP का कहना है कि सीएम केजरीवाल ईडी के सामने पेश नहीं होंगे. उसने समन को गैरकानूनी बताया है. पार्टी का कहना है कि केंद्रीय एजेंसी ईडी के समन की वैधता का मामला अब कोर्ट में है. वह खुद कोर्ट गई है. ईडी को बार-बार समन भेजने की बजाय कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए.

सीएम केजरीवाल को पहला समन पिछले साल 2 नवंबर के लिए भेजा गया था, जबकि दूसरा समन 21 दिसंबर के लिए भेजा गया, तीसरा समन पिछले महीने 3 जनवरी के लिए भेजा गया था. चौथा समन 17 जनवरी और पांचवां समन 2 फरवरी को भेजा गया था. 14 फरवरी को जांच एजेंसी ने केजरीवाल को छठा समन जारी किया था और उन्हें 19 फरवरी को पेश होने के लिए कहा था.

ईडी ने खटखटाया था कोर्ट का दरवाजा

ईडी के समन को लेकर केजरीवाल बार-बार मोदी सरकार पर परेशान करने का आरोप लगाते आ रहे हैं. केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी ED के समन को लगातार गैर कानूनी बताती आई है. बार-बार केजरीवाल के पेश नहीं होने पर ED ने कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था. कोर्ट के नोटिस के बाद 17 फरवरी को केजरीवाल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए राउज एवेन्यू कोर्ट के सामने पेश हुए थे, जिसमें उन्होंने बजट सत्र का हवाला देकर फिजिकल तौर पर पेश होने के लिए थोड़ा वक्त मांगा था. इसके बाद मामले में कोर्ट ने अगली सुनवाई 16 मार्च तय की है. कथित शराब घोटाला केस में मनीष सिसोदिया और संजय सिंह पहले से ही जेल में हैं.

शराब नीति को कर दिया गया था रद्द, AAP ने लगाए ये आरोप

AAP आरोप लगाती आई है कि बीजेपी केजरीवाल को गिरफ्तार करवाकर दिल्ली में उसकी सरकार गिराना चाहती है, जिसे वह होने नहीं देगी. आरोप लगाया गया है कि शराब व्यापारियों को लाइसेंस देने के लिए दिल्ली सरकार की 2021-22 की शराब नीति के जरिए कुछ डीलरों का पक्ष लिया गया, जिन्होंने कथित तौर पर इसके लिए रिश्वत दी. हालांकि इन आरोपों का AAP ने बार-बार खंडन किया है. विवाद बढ़ने के बाद शराब नीति को रद्द कर दिया गया और दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने केंद्रीय जांच ब्यूरो से जांच की सिफारिश की, जिसके बाद ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज किया था.

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