राष्ट्र चंडिका न्यूज़,सिवनी। कहते हैं सिवनी का जुआं पूरे महाकौशल क्षेत्र में फेमस है जहां हर प्रकार की व्यवस्था (शबाब और कबाब) फड़ में ही मौजूद रहती है। इसके लिए नालकट द्वारा अलग से कोई फीस नहीं ली जाती। सूत्रों की माने तो नरसिंहपुर, करेली, छिंदवाड़ा, मंडला, बालाघाट, कटनी सहित आसपास जिलों के जुआरीं दांव फेंकने सिवनी ही आते हैं। बेईमानी का यह धंधा बड़ी ईमानदारी से चलाया जाता है। जुएं खिलाने के मामले में पहले इक्का-दुक्का नाम ही चला करते थे लेकिन अब वक्त ने ऐसी करवट बदली कि जोकर भी बादशाह बन बैठा है। इसका जीता जागता उदाहरण घनश्याम नामक नालकट है। जो कुछ ही समय में अपना जुआं साम्राज्य जमाने में सफल हो गया। घनश्याम के हौंसलों की भी दाद देनी चाहिए जो खुलेआम कहता फिरता है कि मैं पुलिस को अपनी जेब में रखता हूं। ऐसे और भी नाम हैं जो जुआं खिलाने के मामले में फेमस हैं।
सिवनी पुलिस अधीक्षक राकेश सिंह के सख्त निर्देश है की जिस थाना क्षेत्र में जुआ फड़ पकड़येगा उसका जिम्मेदार उस थाने का थाना प्रभारी माना जायेगा और उस पर कार्रवाही की जाएगी। पुलिस अधीक्षक के निर्देश के बाद से ही ढूंढ रहे है। लेकिन कुछ पुलिस कर्मी और थानेदार इन निर्देशों को नजर अंदाज करते हुए अपने क्षेत्र में चल रही जुआ फड़ो पर कार्रवाई करने से कतरा रहे है।
सिवनी का घनश्याम इन दिनों सिवनी और छिदवाड़ा जिले के अलग-अलग स्थानों में जुआ फड़ जमा कर लाखो की नाल काट रहा है। सूत्रों की माने तो सिवनी जिले के बंडोल और लखनवाड़ा थाना क्षेत्र के साथ छिंदवाड़ा जिले के चौरई थाना क्षेत्र में घनश्याम गिरोह द्वारा जगह बदल बदल कर जुआ फड़ जमाई जा रही है। विश्वस्त सूत्रों की माने तो बंडोल और लखनवाड़ा थाना क्षेत्र के ग्राम लोनिया, जाम, पांजरा, हिनोतिया, जमुनिया, बखारी और चौरई थाना के अंतर्गत आने वाले ग्राम में फड़ जमाई जा रही है। मजे की बात यह है की पुलिस की जानकारी में पूरी खबर है लेकिन पुलिस घनश्याम की फड़ में कार्रवाई करने से बच रही है। तीन थाना क्षेत्र में घनश्याम गिरोह के गुर्गे बेखौफ जुआ फड़ जमा रहे और पुलिस तमाशबीन बनी हुई है।
जुआं फड़ में ही फायनेंस सुविधा – जुआरियों के लिए इससे अच्छी बात और क्या होगी कि उन्हें जुआं फड़ (जहां जुआं खिलाया जाता है) वहीं फायनेंस की सुविधा मिल जाती है। इसके एवज में जुआं खेलने वालों को अपनी कोई चीज गिरवी रखनी होती है। पुराने खिलाडिय़ों को तो जुबान की कीमत के आधार पर रूपया फायनेंस हो जाता है लेकिन इसके एवज में एक दिन के दोगुने और दो दिन में चौगुनी राशि बढ़ते जाती है। ईमानदारी के इस धंधे ने कई परिवारों के चिराग बुझा दिये हैं। कई युवा तो जुएं के कर्ज से दबकर अपनी जान तक दे दी है तो कई युवा शहर छोडक़र ही लापता हो गये हैं।
यहां चलता है जुआं – अगर हम सिवनी नगर की बात करें तो शहर के मंगलीपेठ, भैरोगंज, लूघरवाड़ा, भोमा रोड, पलारी रोड, जबलपुर रोड सहित सुनसान इलाको (जंगली क्षेत्रो) में बेधडक़ जुआं खिलाया जा रहा है। खैर यह तो नगरीय क्षेत्र की बात हो गई अगर पूरे जिले की बात की जाये तो ऐसा कोई क्षेत्र या विकासखंड नहीं है जहां जुआरियों का सिक्का न चलता हो।
ऊपर तक जाती है नालकटो की चढ़ोत्तरी – जुआं फड़ में बैठने वाले एक युवक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि नालकट जुआरियों को यह दिलासा देते हैं कि उनके फड़ में रेट पड़ ही नहीं सकती चूंकि हमारा पैसा पुलिस के आला अफसरान से लेकर बड़े-बड़े अधिकारियों तक जाता है।
शराब और अश्लील डांस का मजा -सूत्रों की माने तो बड़े जुआं फड़ों में शराब से लेकर नृत्य बालाओं का अश्लील डांस भी देखने को मिलता है। इतना ही नहीं जुआं फड़ों में आने वाले नशेड़ी युवा तो नृतिकाओं से छेड़छाड़ भी कर देते हैं।
पुलिस से तेज मुखबिरी -जुआरियों की मुखबिरी पुलिस से भी तेज होती है। यहीं कारण है कि जुआं फड़ों में कम ही गाज गिरती है। सूत्रों की माने तो थाने से लेकर जुआं फड़ों तक इनके टॉवर खड़े होते हैं जो पल-पल की जानकारी अपने आका को देते हैं। यदि कोई जुआं खिलाने की जानकारी थाने में देता हैं तो थाने में ही बैठे कुछ दलालनुमा पुलिसकर्मी नालकट को सावधान कर देते हैं।
आज प्रतिस्पर्धा इतनी बढ गई है कि कोई भी यह देखने को तैयार नहीं कि काम जो वो कर रहा है वह सहीं है या गलत। नगर में तो कई जुंए के अड्डे चल ही रहे हैं जहां चाह के बाद भी पुलिस को राह नजर नहीं आ रही है किंतु अचम्भे की बात यह है कि अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी ताश की पत्ती का यह खेल खेत-खेत में खेला जाने लगा है और इतना व्यापक स्वरूप ले चुका है कि शहरी क्षेत्र के जुंआडी भी गांवो मंे जाकर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार सिवनी अडोस पडोस के जिलों में इसलिये ख्यातिलब्ध हो चुका है कि यहां बडे-बडे दांव अंदर बाहर होते हैं। जिसके चलते बालाघाट, छिंदवाडा, मंडला, नरसिंगपुर तक से लोग यहां आ रहे हैं और कभी जीत तो कभी हार कर रहे हैं। ऐसा भी माना जा रहा है कि ये सब पुलिस की जानकारी मंे तो है किंतु पुलिसया विभाग भी इन पर कोई कार्यवाही करने से गुरेज रखता है अब उसका कारण जो भी हो पर इतना तो सभी को ज्ञात है कि इन जुंए के फड लगाने वालों ने कई घरों से चिराग अपने हाथो से बुझाए हैं और अगर शीघ्र कार्यवाही करके ये सब काले धंधे बंद नहीं कराए गये तो वह दिन दूर नहीं जब या तो हर दिन कर्जे मंे दबे जुंआरी आत्महत्या करंेगे या फिर जुंआ खिलाने के धंधे के चलते गैंगवार होगा। जिला पुलिस अधीक्षक को अपने विभाग की लगाम कसकर खींचने की अत्यंत आवश्यकता आन पडी है।