बड़े बुजुर्ग हमेशा ही कहते हैं कि चौबीस घंटे में एक बार हर मनुष्य की जुबान पर सरस्वती जरूर बैठती हैं, इसीलिए मुंह से हर एक शब्द सोच समझकर निकालना चाहिए. हम सभी ने ये अनुभव किया होगा कि कई बार हमारी कही गई बात सच हो जाती है. तब यही कहा जाता है कि लगता है, जुबान पर मां सरस्वती बैठी हुई थीं. यह बात पुख्ता तौर पर कह पाना तो मुश्किल होता है, लेकिन मां सरस्वती का जुबान पर बैठने का सही समय क्या है? शास्त्रों में ब्रह्म महूर्त को बहुत ही शुभ माना गया है. इस दौरान कुछ मिनट ऐसे होते हैं. जब मां सरस्वती मनुष्य की जुबान पर बैठती हैं. इस समय जो भी बात कही जाए वह सच हो जाती है. कौन सा है वो समय आगे पढ़ें…
जुबान पर कब विराजती हैं मां सरस्वती
बड़े बुजुर्गों का कहना है कि सुबह 3 बजकर 20 मिनट से 3 बजकर 40 मिनट तक के समय में अपनी मनोकामना को हमेशा दोहराना चाहिए. मतलब 20 मिनट तक का समय ऐसा होता है, जब जुबान पर मां सवस्वती बैठती हैं. इस समय कही गई बात सच साबित हो सकती है. बड़े बुजुर्ग हमेशा ही इस बात पर जोर देते हैं कि वाणी में कड़वाहट नहीं होनी चाहिए.
पहले तोलो फिर बोलो…
आपकी कही गई बात दूसरों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है. इसीलिए पहले तोलो फिर बोलो. क्योंकि क्या पता कब जुबान पर सरस्वती बैठी हों. इस दौरान कोई ऐसी बात न मुंह से निकल जाए जो किसी का बड़ा नुकसान कर दे. इसीलिए बोलने से पहले हमेशा सोचना और समझना जरूरी होता है. मां सरस्वती का आशीर्वाद उन लोगों को ही मिलता है जो अपनी भाषा पर कंट्रोल रखते हैं और अपनी बोली से दूसरों का बुरा नहीं करते हैं. इसीलिए किसी का भी अनादर नहीं करना चाहिए.
हमेशा अच्छा बोलो
मां सरस्वती को बुद्धि और विद्या की देवी माना जाता है. छात्रों को सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए उनके मंत्रों का जाप और पूजा-आराधना करनी चाहिए. दूसरों से अपशब्द बोलने से इसीलिए मना किया जाता है, क्योंकि क्या पता कब जुबान पर सरस्वती बैठी हों और बोली गई बात सच हो जाए. इसीलिए लोगों से हमेशा अच्छी बातें करनी चाहिए. किसी के बारे में किसी को बुरा भला नहीं कहना चाहिए.
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