राम और राष्ट्र पर समझौता नहीं…कांग्रेस ने निकाला, राहुल को टैग कर आया आचार्य प्रमोद का पहला रिएक्शन

कांग्रेस ने आचार्य प्रमोद कृष्णम को छह साल के लिए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. उन्होंने हाल ही में अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की थी और कार्यक्रम में शामिल नहीं होने के लिए कांग्रेस की आलोचना की थी. प्रमोद कृष्णम पीएम मोदी से मुलाकात भी कर चुके हैं और कई मौकों पर कांग्रेस पर सवाल खड़े किए हैं. पार्टी से निकाले जाने के बाद प्रमोद कृष्णम की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है और उन्होंने राहुल गांधी को टैग किया है.

एक्स पर पोस्ट शेयर करते हुए प्रमोद कृष्णम ने कहा कि राम और “राष्ट्र” पर “समझौता” नहीं किया जा सकता. उन्होंने ये बात राहुल गांधी को संबोधित करते हुए कही. उनके इस पोस्ट को कवि कुमार विश्वास ने रिट्वीट करते हुए विनय-पत्रिका से तुलसीदास की पंक्तियां लिखीं. इन पक्तियों का अर्थ है कि जो भी भगवान राम-माता सीता का प्यारा नहीं है उसे करोड़ों शत्रुओं के समान छोड़ देना चाहिए, चाहे वह कितना ही प्यारा क्यों न हो. प्रहलाद ने अपने पिता (हिरण्यकश्यप) को, विभीषण ने अपने भाई (रावण) को और ब्रज-गोपियों ने अपने-अपने पतियों को त्याग दिया था, लेकिन ये सभी आनंद और कल्याण करने वाले हुए.

कांग्रेस ने पार्टी से क्यों निकाला?

वहीं, कांग्रेस का कहना है कि आचार्य प्रमोद कृष्णम को ‘अनुशासनहीनता’ और पार्टी के खिलाफ बार-बार बयान देने के आरोप में निष्कासित किया गया. हालांकि पार्टी ने किस खास वजह से निकाला इस बात जिक्र नहीं किया है. कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रमोद कृष्णम को उनके बार-बार पार्टी विरोधी बयानों और अनुशासनहीनता की शिकायतों के चलते छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित किया है.

आचार्य प्रमोद का कहना है कि उनकी पीएम मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात केवल कल्कि धाम उद्घाटन को लेकर आमंत्रित करने के लिए थी. उन्होंने सीएम योगी से भी मुलाकात की थी, जिसके बाद सियासी गलियारों चर्चा तेज हो गई थी कि आचार्य प्रमोद बीजेपी का दामन थाम सकते हैं. बीजेपी से बढ़ती नजदीकियों के चलते ही कांग्रेस खेमे में खलबली मची हुई थी, जिसका असर आखिरकार दिखाई दे गया.

कौन हैं आचार्य प्रमोद कृष्णम?

आचार्य प्रमोद कृष्णम ने 2019 में लोकसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लखनऊ से लड़ा था, लेकिन वह मोदी लहर के आगे टिक नहीं सके थे और हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि, आचार्य प्रमोद 1.8 लाख वोट हासिल करने में सफल हो गए थे. इससे पहले 2014 का लोकसभा चुनाव संभल से लड़ा था और यहां भी हार का मुंह देखना पड़ा था. आचार्य प्रमोद पहले कांग्रेस की उत्तर प्रदेश सलाहकार परिषद का हिस्सा थे, जिसका गठन पार्टी के लिए यूपी प्रभारी के रूप में प्रियंका गांधी वाड्रा की हेल्प के लिए किया गया था. बताया जाता है कि वह प्रियंका गांधी के करीबी नेताओं में से एक रहे हैं. इसके अलावा सचिन पायलट के भी करीबी माने जाते हैं. सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच पड़ी दरार के समय आचार्य प्रमोद ने गहलोत को निशाने पर लिया था.

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