पहले सजा-ए मौत, फिर उम्र कैद और अब 30 साल जेल… मंदिर में बच्ची से रेप करने वाले दोषी को सुप्रीम कोर्ट ने सुनाई सजा

साल 2018… मध्य प्रदेश में एक दादी अपनी 7 साल की पोती को लेकर घर से कहीं बाहर निकली थी. लेकिन न तो दादी और न तो उस मासूम को खुद पता था कि उसके साथ आगे क्या होने वाला है. रास्ते में 40 साल के एक शख्स ने बच्ची का अपहरण कर लिया. इसके बाद वह बच्ची को राजाराम बाबा ठाकुर मंदिर ले गया. वहां उसने बच्ची के साथ रेप किया. इस बीच दादी ने पुलिस के पास बच्ची के किडनैप का मामला दर्ज करवा दिया. पुलिस भी तुरंत एक्शन में आई और जल्द ही आरोपी और बच्ची को उन्होंने ढूंढ निकाला.

दादी को देख बच्ची उनसे लिपटकर रोने लगी. बच्ची के बदन पर उस समय एक भी कपड़ा नहीं था. वहीं आरोपी भी अर्धनग्न हालत में था. बच्ची ने रोते-रोते कहा कि अंकल ने मेरे साथ गंदा काम किया है. उसके शरीर से खून भी बह रहा था, जिसके बाद बच्ची को तुरंत अस्पताल ले जाया गया. वहां उसका इलाज किया गया. साथ ही पुलिस ने आरोपी और पीड़िता का मेडिकल भी करवाया. रिपोर्ट में रेप की पुष्टि हुई तो आरोपी को गिरफ्तार कर पुलिस ने कोर्ट में पेश किया. उसे फिर जेल भेज दिया गया. मामला तब से कोर्ट में चल रहा था. जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा.

घटना के 6 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को दोषी करार देते हुए 30 साल जेल की सजा सुनाई है. साथ ही उसे 1 लाख रुपये जुर्माना भी लगाया गया. आखिरकार बच्ची को न्याय मिल ही गया. लेकिन इससे पहले न जाने इस केस के लिए न जाने पीड़ित पक्ष को कितने ही कोर्ट्स का रुख करना पड़ गया. सबसे पहले यह मामला ट्रायल कोर्ट में पहुंचा था. यहां ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को भारतीय दंड संहिता, 1860 (आईपीसी) की धारा 376 एबी (बारह साल से कम उम्र की महिला से बलात्कार) के तहत मौत की सजा सुनाई थी. हालांकि, बाद में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने इसे आजीवन कारावास में बदल दिया. कोर्ट के फैसले के बाद याचिकाकर्ता (आरोपी) ने फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. मामला चलता रहा और फिर न्यायमूर्ति सी.टी. रविकुमार और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की खंडपीठ ने इस रेप केस को बर्बर करार देते हुए आरोपी को दोषी करार देते हुए 30 साल जेल की सजा सुनाई.

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा, ”7 साल की बच्ची के साथ रेप की ये वारदात बेहद बर्बर है. आरोपी ने न केवल बच्ची से रेप किया, बल्कि इस घिनौने कृत्य को मंदिर में अंजाम दिया, जो कि एक पवित्र स्थल है. आरोपी ने बच्ची के साथ जानवरों जैसा बर्ताव किया. इससे बच्ची को मानसिक रूप से चोट पहुंची होगी. आगे वो मंदिर जाने में भी घबराएगी. हो सकता है इसका असर आगे चलकर उसे वैवाहिक जीवन पर भी पड़े. इसलिए आरोपी को किसी भी सूरत में माफ नहीं किया जा सकता.”

आरोपी को सजा सुनाते समय, अदालत ने कई कारकों पर ध्यान दिया, जिसमें यह भी शामिल था कि कैसे यह घटना पीड़िता को परेशान कर सकती है और उसके भावी वैवाहिक जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है. गौरतलब है कि धारा 376 एबी के तहत निर्धारित सजा कम से कम बीस साल का कठोर कारावास है. शीर्ष अदालत ने कहा कि हालांकि उच्च न्यायालय ने सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया है, लेकिन कठोर कारावास लगाने की वैकल्पिक सजा भी संभव है.

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.