वह देश की आजादी के लिए लड़ाई का दौर था. महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन की घोषणा की थी. इसका असर पूरे देश में दिखाई दे रहा था. उसी दौरान गुस्साई भीड़ ने एक घटना से नाराज होकर गोरखपुर के चौरी-चौरा में स्थापित अंग्रेजों की पुलिस चौकी में आग लगा दी थी, जिससे 23 पुलिस वाले जलकर मर गए. तीन नागरिकों की भी जान चली गई थी. तारीख थी 4 फरवरी 1922. इसके बाद अंग्रेजों ने 19 लोगों को चौरी-चौरा कांड के आरोप में फांसी के फंदे पर लटका दिया था. आजादी के बाद इन्हीं शहीदों की याद में दो ट्रेनें भी चलाई गईं. आइए जान लेते हैं पूरा किस्सा.
गोरखपुर में है चौरी-चौरा
गोरखपुर में चौरी और चौरा नाम के दो अलग-अलग गांव थे. रेलवे के एक तत्कालीन ट्रैफिक मैनेजर ने इनका नाम एक साथ कर जनवरी 1885 में यहां एक रेलवे स्टेशन की भी स्थापना की थी. शुरू में यहां केवल रेलवे प्लेटफॉर्म और मालगोदाम का नाम ही चौरी-चौरा था. फिर चौरा गांव में बाजार भी लगना शुरू हो गया. आज चौरी-चौरा एक कस्बा और तहसील मुख्यालय है.
गांधी जी ने शुरू किया था असहयोग आंदोलन
1 अगस्त, 1920 को महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन शुरू किया था. इसमें आह्वान किया था कि सभी विदेशी सामानों का बहिष्कार किया जाए. खास कर विदेशों में मशीनों से बने कपड़े, कानूनी, शैक्षिक और प्रशासनिक संस्थानों का बहिष्कार किया जाए और भारतीय किसी भी तरह से प्रशासन की कोई सहायता न करें. साथ ही सन् 1921-22 में खिलाफत आंदोलन और कांग्रेस के स्वयंसेवकों को मिलाकर एक राष्ट्रीय स्वयंसेवक कोर का गठन भी किया गया था.
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.