पिछले हफ्ते जॉर्डन के अमेरिकी बेस पर हुए हमले का अमेरिका ने बदला लिया है. राष्ट्रपति जो बाइडन का आदेश मिलते ही B1- बमवर्षक विमानों की अगुआई में कई लड़ाकू विमानों ने सीधे अमेरिका से उड़ान भरी और इराक एवं सीरिया में 85 ठिकानों पर 125 मिसाइलों एवं दूसरे विध्वंसक हथियारों से हमला किया. दावा है कि भारतीय समयानुसार रात ढाई बजे हुए इस हमले में जार्डन एयरफोर्स ने भी अमेरिकी एयरफोर्स को मदद दी है.
अमेरिकी सेंट्रल कमांड के मुताबिक ईराक और सीरिया में मौजूद ईरानी सेना (IRGC) के कुद्स फोर्स एवं ईरान समर्थित मिलिशिया गुटों के कमांड एवं कंट्रोल सेंटर, खुफिया मुख्यालय, ड्रोन सेंटर और हथियार भंडारों को निशाना बनाया गया है. अमेरिकी सेंट्रल कमांड के जनरल माइकल एरिक के अनुसार आगे भी हमले जारी रहेंगे.
ईरान के भीतर पहला हमला नहीं करने का लिया गया फैसला
राष्ट्रपति बाइडन पर जार्डन में तीन अमेरिकी सैनिकों की मौत एवं 34 सैनिकों के घायल होने के मामले में कुछ बड़ा करने का भारी दवाब था. व्हाइट हाउस और पेंटागन में कई दिनों तक इस बात पर माथापच्ची जारी रही कि ईरान पर सीधा हमला किया जाए या नहीं. जार्डन के अमेरिकी बेस पर हमले की जिम्मेदारी ईरान समर्थन ईराकी मिलिशिया गुट कताएब हिजबुल्ला ने ली थी. ईरान ने खुली धमकी थी कि अगर अमेरिका ने ईरानी जमीन पर हमला किया तो वो जबावी कार्रवाई करेगा. आखिरकार बाईडेन ने ईरान के भीतर हमला नहीं करने का फैसला किया और ईराक एवं सीरिया में मौजूद ईरानी सेना के अड्डों को निशाना बनाने का आदेश दिया गया.
ईरानी मिलिशिया ने अपने अड्डों से हटा लिये थे हथियार
अमेरिकी सैन्य अधिकारियों ने पहले ही संकेत दे दिये थे कि ईराक और सीरिया के मिलिशिया गुटों पर हमला होगा, इसे देखते हुए ईरान समर्थित इन गुटों को भी संभलने का मौका मिल गया था. ईरानी सेना से जुड़े सूत्रों के मुताबिक बहुत से सैन्य ठिकानों से हथियारों को हटा कर कहीं और छिपाईराक और सीरिया दिया गया था वहीं लड़ाकों को भी अलग-अलग जगहों भर भेज दिया गया था. अमेरिकी हमले में कई सिविलियन एवं कुछ लड़ाकों के मारे जाने की सूचना है. अमेरिकी सेंट्रल कमांड भी हमले में विरोधियों को हुए नुकसान का जायजा लेने में जुटी है.
ईरान ने तेज किए परमाणु कार्यक्रम, चार न्यूक्लियर प्लांट का निर्माण शुरू
अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव के बीच ईरान ने हार्मूज की खाड़ी के पास चार न्यूक्लियर पावर प्लांट को बनाने का काम शुरू कर दिया है. ईरानी अथॉरिटी के मुताबिक इन प्लांट से पांच हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा. ईरान का दावा है कि इन न्यूक्लियर प्लांट को ईरानी स्वदेशी तकनीक से विकसित किया जा रहा है जबकि अमेरिका एवं इजराइली सुरक्षा एजेंसियां ईरानी परमाणु कार्यक्रम में रूस और चीन की मदद का आरोप लगाते आ रहे है. ईरान के पास पर्याप्त मात्रा में यूरेनियम है और उसे न्यूक्लियर वारहेड में बदलने की क्षमता भी लगभग हासिल कर चुका है. जानकारों का मानना है कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को न्यूक्लियर पावर प्लांट के रूप में प्रोजेक्ट कर रहा है.
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