करीब 400 साल के संघर्षों के बाद ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा की अनुमति मिल गई है. कोर्ट के इस फैसले पर व्यास परिवार ने खुशी जताई है. हालांकि निराशा भी प्रकट किया है कि अभी तक उन्हें यहां पूजा की अनुमति नहीं मिली है. व्यास परिवार के वरिष्ठ सदस्य जितेंद्र व्यास ने कहा कि यह ऐतिहासिक क्षण है. इन्हीं क्षणों के लिए उनका परिवार बीते 400 सालों से संघर्ष कर रहा था. पहले मुगलों से लड़े, फिर अंग्रेजों से और आजादी के बाद अपनों से लड़ने में भी 75 साल लग गए.
जितेंद्र व्यास ने बताया कि उनके परिवार ने ही कोर्ट में याचिका लगाई थी. उसी याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने व्यास तहखाने में पूजा की अनुमति दी है. उन्होंने बताया कि फिलहाल तहखाने में रखी मूर्तियों की पूजा हुई है. वहां दीवारों पर खंभों पर बनी आकृतियों की पूजा हुई है. उन्होंने कहा कि दुनिया जानती है कि पहले भी यह मंदिर ही था. यहां की दीवारें और खंभों में बनी आकृतियां, कमल पुष्प और स्वास्तिक के चिन्ह इस बात की गवाही दे रहे हैं.
पूजा में शामिल रहा व्यास परिवार
चूंकि बीते दिनों में ऐसे घटनाक्रम हुए, जिनके चलते मूर्तियां खंडित हो गईं. इसलिए फिलहाल इन्हीं मूर्तियों का स्नान और श्रृंगार कराते हुए पूजन कराया गया है. जितेंद्र व्यास ने टीवी 9 से बातचीत करते हुए कहा कि बुधवार-गुरुवार की रात मंडलायुक्त की मौजूदगी में पूजा हुई है. यह पूजा काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी ओमप्रकाश मिश्रा और गनेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने कराई. इस मौके पर उनके परिवार से आशुतोष व्यास शामिल हुए हैं. वहीं पूजा के अधिकार के सवाल पर जितेंद्र व्यास थोड़े नर्वस नजर आए.
प्रशासन करेगा नियमित पूजा की व्यवस्था
उन्होंने कहा कि यह तो प्रशासन को तय करना है कि कौन पूजा करेगा और यहां पूजा की पद्धति क्या होगी. उन्होंने बताया कि नियमित पूजा की व्यवस्था को लेकर प्रशासन को निर्णय लेना है. काशी विश्वनाथ मंदिर के पुजारी द्वारा यहां पूजा किए जाने के सवाल पर जितेंद्र व्यास ने कहा कि कोई बात नहीं, वैसे उनका यहां कुछ नहीं है. उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी के सभी दस्तावेज उनके पास उपलब्ध हैं और यह दस्तावेज उन्होंने कोर्ट में भी दिए हैं. उनका परिवार सदियों से यहां पूजन करता और कराता रहा है. बावजूद इसके, ज्ञानवापी में पूजा शुरू होना बड़ी बात है और उनके लिए यह ऐतिहासिक क्षण है.
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.