अयोध्या में भगवान रामलाल के प्राण प्रतिष्ठा करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब लोगों को संबोधित करना शुरू किया तो राम-राम के संबोधन से किया और खत्म सियाराम से किया था. वहीं पीएम मोदी बुधवार को संसद के बजट सत्र से पहले मीडिया को संबोधित करते हुए अपना संबोधन फिर से ‘राम-राम’ से किया. इस दौरान उन्होंने कहा, ‘आप सभी को 2024 की राम-राम.’ इस तरह पीएम मोदी ने अपनी बात शुरू और फिर खत्म करते समय फिर ‘राम-राम’ कहा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह अनायास ही नहीं किया है, बल्कि उसके गहरे राजनीतिक और सामाजिक मायने भी हैं.
बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव को राम मंदिर मुद्दे के इर्द-गिर्द अपना एजेंडा सेट कर रही है. माना जा रहा है कि राम मंदिर का सियासी असर अप्रैल में होने वाले लोकसभा चुनाव में भी दिखेगा. इन दिनों देश के गांव-गांव, गली-गली और शहर-शहर में अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर का मुद्दा छाया हुआ है. ऐसे में पीएम मोदी राम मंदिर आंदोलन के चिर-परिचित वाले नारे, जय श्रीराम के नारे को त्यागकर राम-राम को बार-बार दोहरा रहे हैं.
संसद में पीएम मोदी की राम-राम
पीएम मोदी ऐसे ही अपने संबोधन का आगाज ‘राम-राम’ से नहीं कह रहे हैं बल्कि सियासी दृष्टि से देखें तो ‘जय श्रीराम’ का सफर यहां से खत्म होता है और राम-राम के साथ आगे की यात्रा शुरू होती है. भगवान राम के नाम को समावेशी बनाने की है, क्योंकि गांवों में आज भी लोग एक दूसरे को राम-राम कहकर ही अभिवादन करते हैं. उत्तर भारत की लोकस्मृति में राम को याद करने के जो सहज और स्वाभाविक शब्द या शैलियां रही हैं, उसमें राम-राम, जय राम, जय-जय राम और या फिर जय सियाराम का रहा है.
राम के नाम से हिंदू समुदाय के लोग मुस्लिमों का भी अभिवादन करते रहे हैं, उसके जवाब में वो भी राम-राम कह कर ही अपना जवाब दिया करते थे. लेकिन, नब्बे के दशक में वीएचपी और बीजेपी ने राम मंदिर को लेकर आंदोलन शुरू किया तो ‘जय श्रीराम’ के नारे बुलंद किए जाने लगे. बीजेपी की रैलियों में भी ‘जय श्रीराम’ के नारे को उद्घोष किए जाने लगे और आज भी हो रहे हैं. हिंदू धार्मिक यात्रा और जुलूस में भी जय श्रीराम के नारे उदघोष किए जाते हैं. इस तरह से जय श्रीराम का नारा राजनीतिक नारा बन गया था जबकि राम-राम और जय सियाराम के नारे आपसी-भाईचारा और समावेशी है.
अयोध्या में 500 साल बाद राम मंदिर
अयोध्या में अब जब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भव्य राम मंदिर बनकर तैयार हो रहा है. भगवान रामलला पांच सौ साल के बाद अपने गर्भग्रह में विराजमान हो चुके हैं और उनकी प्राण प्रतिष्ठा भी हो चुकी है. राम मंदिर बनने से पहले तक जय श्रीराम के नारे से जो कुछ हासिल किया जा सकता था, वो किया गया. रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही आंदोलन का मकसद खत्म हो चुका है तो फिर से राम-राम पर लोटकर ही उन्हें समावेशी बनाने की कवायद शुरू हो गई.
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