देश की अदालत और उसके जजों की फटकार भी कई दफा काबिल-ए-गौर होती है. सुप्रीम कोर्ट ने आज एक वकील साहब को डांट लगाई. हुआ कुछ यूं कि एक वकील साहब ने न आव देखा न ताव, बिना किसी पूर्व सूचना के सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच के सामने एक मामले को मेंशन करने की कोशिश की. वकील साहब की मांग थी कि ‘न्यायपालिका में सुधार’ का मामला कोर्ट में लिस्ट किया जाए. बिना अपनी बारी के आए, यूं अचानक मामले को आगे बढ़ाने पर पीठ ने सख्ती दिखाई.
देश के मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने वकील को फटकार लगाते हुए कहा कि ये कोई प्लेटफॉर्म नहीं है कि जो भी ट्रेन आई, बस आप चढ़ गए. यह पूरा वाकया सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ के सामने हुआ, अदालत ने वकील को चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसा करने के लिए कोर्ट जुर्माना भी लगाएगी. वकील साहब ने अदालत के सामने अपनी बात रखनी चाही कि उनकी दरअसल याचिका ये है. अदालत का कहना था कि क्या ये मामला इस बेंच के सामने लगा था, अगर नहीं तो आप अचानक दोपहर 12 बजे कैसे इसकी मांग कर सकते हैं?
कोर्ट ने जुर्माना लगाने की बात की
वकील साहब थोड़े बचाव की मुद्रा में आए. उन्होंने कहा कि वह न्यायपालिका के खिलाफ नहीं हैं, उसका अनादर नहीं करते. अभी वह अपनी बात और पूरी कह पाते कि सीजेआई ने कह दिया कि ये यह मुद्दा है ही नहीं कि आप न्यायपालिका के खिलाफ हैं या नहीं? मुद्दा ये है कि आप बिना केस मेंशन हुए यूं एकाएक कैसे अदालत के सामने मामले को लिस्ट लिस्ट करने की गुहार लगा सकते हैं. तीन जजों की बेंच ने जुर्माना लगाने की बात कही है जो सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन को भरना होगा.
वकील साहब हाईकोर्ट से थे!
बात यहीं समाप्त नहीं हुई. अदालत ने वकील से जानना चाहा कि क्या वह सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं. पता चला कि वकील साहब दिल्ली उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस करते हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि तो क्या आप वहां यूं ही खड़े हो कर अपनी याचिका मेंशन कर देते हैं कोर्ट ने वकील साहब से आखिरकार यह कहते हुए बात खत्म की कि वे आप किसी वरिष्ठ वकील से समझिए कि सर्वोच्च अदालत के सामने कोई मामला किस तरह मेंशन किया जाता है.
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