इंदौर। इंटरनेट मीडिया पर आनलाइन गेम के नाम पर युवाओं को लगाई जा रही सट्टे की लत को चुनौती देने वाली जनहित याचिका में सोमवार को सुनवाई होना है। याचिकाकर्ता के आरंभिक तर्क सुनने के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार, केंद्र शासन और आनलाइन गेम खिलाने वाली सात कंपनियों को नोटिस जारी कर पूछा था कि उनके पास आनलाइन गेम के नाम पर खिलाए जा रहे सट्टे को रोकने के क्या इंतजाम हैं। सोमवार को शासन और अन्य पक्षकारों को जवाब देना है।
हाई कोर्ट में यह जनहित याचिका विनोद द्विवेदी ने दायर की है। वे स्वयं ही पैरवी भी कर रहे हैं। याचिका में ड्रीम इलेवन, एमपीएल, तीन पत्ती, ए 23, रमी सर्कल, बिंजो, जुपी के संस्थापकों के साथ-साथ मध्य प्रदेश के गृह सचिव, भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण विभाग के संयुक्त सचिव को भी पक्षकार बनाया गया है। कहा है कि उक्त कंपनियां आनलाइन गेम के नाम पर युवाओं को सट्टे के लिए प्रेरित कर रही हैं। कंपनियां विज्ञापन के माध्यम से युवाओं को बताती हैं कि कैसे लोग आनलाइन गेम खेलकर पैसा कमा रहे हैं।
याचिका में मांग की गई है कि आनलाइन गेम के नाम पर खिलाए जा रहे सट्टे को रोकने के पुख्ता इंतजाम किए जाएं। इसके लिए कठोर नियम बनाए जाएं। याचिका में कंपनियों के ब्रांड एंबेसडर को भी पक्षकार बनाया गया था लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद याचिकाकर्ता ने दोबारा याचिका प्रस्तुत की और इन नामों को हटा लिया। याचिका में यह भी कहा है कि कंपनियों के विज्ञापन से प्रेरित होकर बड़ी संख्या में युवाओं को आनलाइन गेम की लत लग जाती है। बाद में जब वे पैसा हार जाते हैं तो उनका भविष्य अंधकारमय हो जाता है। कई युवा इसके चलते आत्महत्या जैसा कदम भी उठा चुके हैं।
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