ग्रहों की दशा के अनुसार यह माना जाता है कि अगर किसी व्याक्ति पर शनि की महादशा या दोष हो तो उसके जीवन में परेशानियां आने लगती हैं. कहते हैं भगवान विष्णु ने जब राम अवतार रूप में जन्म लिया तो उसका मूल कारण रावण का भगवान राम के हाथों वध के बाद रावण को मुक्ति दिलाने के लिए ही हुआ था. लेकिन शनि चालीसा में इस विषय को लेकर यह कहा गया है कि यह भगवान राम के चौदह वर्ष के वनवास से लेकर रावण के वध तक की क्रियाएं शनि की महादशा के कारण हुई थीं.
शनि की महादशा का माता कैकेयी पर असर
जब भगवान राम के जीवन में शनि की दशा का आरम्भ हुआ तब शनि देव ने माता कैकेयी की बुद्धि भ्रष्ट कर दी, जिसके चलते माता कैकेयी ने अपने प्रिय पुत्र के लिए चौदह वर्ष का वनवास मांगा था. शनि चालीसा में वह पंक्तियां कुछ इस प्रकार है.
राज मिलत बन रामहि दीन्हा। कैकई हूं की मति हरि लीन्हा।।
कहा जाता है शनि की दशा के कारण माता कैकेयी की मति मारी गयी, जिसकी वजह से उन्होंने अपने प्रिय राम के लिए ही चौदह वर्षों का वनवास मांग लिया. शनि की दशा होने के कारण ही भगवान राम को वन में भटकना पड़ा और उसी दौरान रावण पर भी शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव होने से भगवान राम के हाथों रावण का वध हुआ.
शनि दोष से बचाव के उपाय
शनि के दोष से यदि भगवान राम और रावण अपना बचाव न सके तो सोचिए कोई सामान्य व्यक्ति पर शनि दोष का प्रभाव से कैसे बच सकता है. शनिदेव न्याय और कर्मो के फलदाता माने जाते है. कहते हैं शनिदेव की पूजा करने से तमाम परेशानियों से छुटकारा मिलता है. अगर किसी व्यक्ति पर शनि की महादशा या साढ़ेसाती का प्रभाव होता है तो उसके बचाव के लिए विशेष रूप से शनिवार के दिन सूर्योदय से पूर्व पीपल के पेड़ में जल चढ़ाकर सरसों के तेल का दीपक जलाने और शनि मंत्र का जाप करने से शनिदेव प्रसन्न होकर कृपा बरसाते है.
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