सुबह 6 बजे
शहर के 85 वार्डों में बने प्रत्येक हाजिरी सेंटर पर 60 से 70 कर्मचारी पहुंचते हैं।
शहर में लगे लिटरबिन को खाली करने के लिए वाहन निकलते हैं।
सुबह 6.30 बजे
मुख्य मार्गो की सफाई शुरू होती है।
19 जोन की सीएसआइ व सहायक सीएसआइ निरीक्षण के लिए पहुंचते हैं।
सुबह 7 बजे
डोर-टू-डोर वाहन कालोनियों में पहुंचना शुरू हो जाते हैं।
सुबह 8 बजे
कचरा कलेक्शन सेंटर से ट्रेंचिंग ग्राउंड पर कैप्सूल वाहनों के माध्यम से गीला व सूखा कचरा पहुंचाना शुरू किया जाता है। यह प्रक्रिया रात 11 बजे चलती है।
सुबह 9.30 बजे
शहर में बने कचरा कलेक्शन सेंटरों पर पहुंचते है डोर-टू-डोर वाहन। इसी तरह एक वाहन दो से तीन ट्रिप लगाता है।
दोपहर 2 बजे
घरों से कचरा एकत्र करने का पूर्ण हो जाता है।
शाम 4 बजे
व्यावसायिक व दुकानों का कचरा एकत्र करने वाले डोर-टू-डोर वाहन निकलते हैं, जो रात 11 बजे कचरा एकत्र करते हैं।
शाम 4 बजे
प्रमुख बाजारों में सफाई में कर्मचारी पहुंचते हैं।
रात 11 बजे
सराफा व 56 दुकान जैसे प्रमुख बजारों में सफाईकर्मी की टीम पहुंचती है।
रात 10 से सुबह 6 बजे
इंटीग्रेटेड वेस्ट मैनेजमेंट टीम के सफाईकर्मी व रोड स्वीपिंग मशीनें शहर में बायपास, रिंग रोड, एबी रोड, एमजी रोड, जवाहर मार्ग, बीआरटीएस पर चलती हैं और सफाई करती हैं।
वे अधिकारी जो सतत जुटे रहे
सिद्धार्थ जैन, अपर आयुक्त
शहर की सफाई व्यवस्था को बेहतर बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सतत निगरानी की। दस्तावेजीकरण में भी विशेष योगदान दिया। अन्य शहरों से आने वाले प्रतिनिधिमंडलों को निगम द्वारा किए गए नवाचारों की जानकारी दी। उन्हें शहर के स्वच्छता माडल के बारे में बताया। सीवेज टेपिंग को लेकर भी काम किया। वर्षाकाल में सर्वेक्षण के दौरान अधिकारियों के बीच समन्वय बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
डा. अखिलेश उपाध्याय, मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी
शहर के आठ हजार से ज्यादा सफाईमित्रों की जिम्मेदारी इनके पास है। मुख्य स्वास्थ्य निरीक्षकों, दरोगा, सफाईकर्मियों के बीच बीट व्यवस्था की निगरानी इन्हीं के पास है। त्योहारों के अवसर पर जब पूरा शहर त्योहार मनाने में लगा रहता है ये सफाईमित्रों के साथ मैदान में होते हैं। रंगपंचमी हो या दीपावली उत्सव के तुरंत बाद सफाई व्यवस्था संभाल लेते हैं। सफाई मित्रों को शासकीय योजनाओं का लाभ दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मनीष पांडे, वर्कशाप प्रभारी
शहर को स्वच्छ बनाए रखने में मशीनों की अपनी भूमिका है। इन मशीनों के देखरेख और मेंटेनेंस की जिम्मेदारी इन्हीं के पास है। दक्षता से काम को अंजाम देते हुए नवाचार भी किए। तालाबों में जलकुंभी निकालने के लिए स्क्रैप से वीट हार्वेस्टिंग मशीन तैयार करवाई। इसके अलावा चौक पाइपों की सफाई के लिए कैमरायुक्त मशीन तैयार करवाई। इसकी मदद से पाईप में कई फीट आगे तक चोक की स्थिति देखी जा सकती है।
सुनील गुप्ता, कार्यपालन यंत्री
नदी-नालों की सफाई व्यवस्था सुनिश्चत करने में महत्वपूर्ण भूमिका। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांटों के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा नगर निगम के उद्यानों में उपचारित पानी पहुंचाने का काम किया। रेन वाटर हार्वेस्टिंग के काम में योगदान दिया।
अनूप गोयल, कार्यपालन यंत्री
सर्वे के लिए दस्तावेज तैयार करने में भूमिका निभाई। इसके अलावा शहर में निर्माणाधीन भवनों के मलबे के समय पर उठाने, निराकरण इत्यादि को लेकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। निर्माणाधीन मकानों के बाहर ग्रीन नेट लगाना सुनिश्चित किया। सतत निगरानी की। अवैध निर्माणों को लेकर सख्ती की।
महेश शर्मा, अधीक्षण यंत्री
सिग्नल आन, इंजन आफ अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा वायु प्रदुषण को नियंत्रित करने की कार्ययोजना तैयार की। अन्य शहरों से आने वाले दलों को सफाई के लिए किए गए कार्यों का अवलोकन करवाया। उन्हें शहर के नवाचारों की जानकारी दी।
उत्तम यादव, चिड़ियाघर प्रभारी
शहर में खुले में बिक रहे मांस, चिकन की दुकानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की। इसके अलावा चिड़ियाघर की व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित की। अन्य शहरों के आने वाले मेहमानों को सफाई के क्षेत्र में किए गए नवाचारों का अवलोकन करवाया।
इन्होंने डाली नींव, जिस पर चलकर सातवां आसमान छुआ इंदौर ने
मनीष सिंह
30 मई 2015 से 2 मई 2018 तक निगमायुक्त के रूप में इंदौर नगर निगम में पदस्थ रहे। इनके कार्यकाल में ही इंदौर ने वर्ष 2017 में पहली बार देश के सबसे स्वच्छ शहर का तमगा हासिल किया था।
आशीष सिंह
2 मई 2018 से 4 मई 2020 तक इंदौर नगर निगम में बतौर निगमायुक्त पदस्थ रहे। इनके कार्यकाल में इंदौर देशभर में स्वच्छता का सिरमोर बना रहा।
प्रतिभा पाल
5 मई 2020 से 4 अप्रैल 2023 तक इंदौर नगर निगम में निगमायुक्त के रूप में पदस्थ रहीं। इनके कार्यकाल में भी इंदौर देश का सबसे स्वच्छ शहर बना रहा।
मालिनी गौड़ – वर्ष 2015 से 2020 तक शहर की महापौर रहीं। इन्हीं के कार्यकाल में इंदौर ने पहली बार देश के सबसे स्वच्छ शहर का पुरस्कार अर्जित किया था।जाजा
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