जानिये किन कारणों से इंदौर लगातार सातवीं बार बना देश का सबसे स्‍वच्‍छ शहर

इंदौर। इंदौर ने लगातार सातवीं बार देश का सबसे स्वच्छ शहरबनकर इतिहास रच दिया। इसी के साथ इंदौर ने यह भी बता दिया कि इसके पीछे संकल्प, संघर्ष, परिश्रम और योजना का बड़ा योगदान है। इंदौर कई नवाचारों से देशभर में स्वच्छता का ऐसा प्रतिमान स्थापित कर चुका है जहां तक पहुंचना महानगरों के लिए भी फिलहाल स्वप्न ही है।

जनभागीदारी का बेहतर उदाहरण

इंदौर जनभागीदारी का बेहतर उदाहरण है। जब इंदौर नगर निगम ने गीला और सूखा कचरा अलग-अलग करने की अपील की तो यहां के लोगों ने घर में दो अलग-अलग बिन रखना शुरू कर दिए। अब यहां के नागरिक सिर्फ गीला-सूखा कचरा ही अलग-अलग नहीं करते बल्कि प्लास्टिक, ई-वेस्ट, घरेलू हानिकारक कचरा भी अलग-अलग करके देते हैं।

दूसरे शहर अपना रहे इंदौर का माडल

इंदौर का यह माडल आज देश के दूसरे शहर भी अपना रहे हैं। बता दें, गुरुवार को नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित स्वच्छ सर्वेक्षण-2023 पुरस्कार समारोह में गुजरात के सूरत को भी इंदौर के साथ संयुक्त रूप से देश का सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया है।

सिंगल प्लास्टिक मुक्त शहर अभियान चलाया

इंदौर को सिंगल प्लास्टिक मुक्त बनाने की दिशा में बीते वर्ष विशेष अभियान चलाए गए। सिंगल प्लास्टिक का विक्रय रोका गया। सिंगल यूज प्लास्टिक को रिसाइकिल करने की जिम्मेदारी उत्पादकों को देने पर इंदौर नगर निगम एक्सटेंडेड प्रोड्यूसर रिस्पांसिबिलिटी (ईपीआर) क्रेडिट पाने वाले देश का पहला नगरीय निकाय बना।

ई- कचरा संग्राहक वाहनों और ई-बसों की संख्या बढ़ाई

डीजल से चलने वाले डोर-टू-डोर कचरा संग्राहक वाहनों के स्थान पर इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया गया। ई-बसों की संख्या में भी बढ़ोतरी की गई। इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शहर में दो दर्जन से ज्यादा स्थानों पर ई-चार्जिंग स्टेशन बनाए गए।

सफाई मित्रों के लिए तैयार किया एप

निगम के साढ़े सात हजार से ज्यादा सफाई मित्रों को शासन की योजनाओं का लाभ मिल सके इसके लिए मोबाइल एप तैयार किया गया। जोन कार्यालयों में उनकी छोटी-मोटी समस्याओं के समाधान के लिए सिंगल विंडो स्कीम लागू की गई। स्वच्छ सर्वेक्षण में भी इसका लाभ मिला।

कंट्रोल रूम से हर कचरा संग्राहक वाहन पर नजर

डोर-टू-डोर कचरा संग्राहक वाहनों की समय पर रवानगी और आगमन को सुनिश्चित करने के लिए कंट्रोल रूम बनाया गया और प्रत्येक वाहन की निगरानी सुनिश्चित की गई। असर यह हुआ कि किसी कचरा संग्राहक वाहन के किसी गली में तय से अधिक फेरे लगाने या या समस्या होने पर किसी मोहल्ले में समय पर नहीं पहुंचने की जानकारी तुरंत कंट्रोल रूम को मिल जाती है। समस्या का समाधान करते हुए दूसरा वाहन भेज दिया जाता है।

हर जोन में खोला थ्री-आर सेंटर

सभी 19 जोन में नगर निगम ने थ्री-आर (रियूज, रिड्यूस, रिसाइकिल) केंद्र खोले। इनका उद्देश्य घरों में पड़ी अनुपयोगी वस्तुओं, सामग्री को किसी के लिए उपयोगी बनाना है। इससे एक तरफ कचरा नियंत्रित करने में मदद मिली वहीं दूसरी तरफ इस नवाचार से लोगों को काम भी मिला।

ग्रीन वेस्ट से बनाए कार्बन ब्लाक

नगर निगम ने एक अन्य नवाचार के तहत शहर में निकलने वाले ग्रीन वेस्ट को भी आय का साधन बना लिया। शहर में पीपीई मोड पर 100 टन प्रतिदिन की क्षमता वाला ग्रीन वेस्ट सेग्रिगेशन प्लांट स्थापित किया गया। प्लांट नहीं होने की वजह से अब तक ग्रीन वेस्ट को जलाकर खत्म करना पड़ता था लेकिन अब ग्रीन वेस्ट से कार्बन ब्लाक तैयार किए जा रहे हैं। इन्हें बेचकर नगर निगम को अतिरिक्त कमाई भी होगी।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.