माइक्रो प्लानिंग और आपसी समन्वय से मिली सफलता- हर्षिका सिंह

इंदौर। माइक्रो प्लानिंग और आपसी समन्वय से मिली सफलता हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती इंदौर के गौरव को बनाए रखना थी। इस वर्ष निगम की लगभग पूरी टीम नई थी। ऐसे में अधिकारियों के बीच समन्वय स्थापित करना भी एक अलग ही चुनौती थी। हमने लगातार बैठकें की और अधिकारियों को सर्वेक्षण टीम की अपेक्षाओं के बारे में जानकारी दी। हम सभी ने सर्वेक्षण की टूल कीट के मुताबिक काम किया। यह बात इंदौर निगमायुक्त हर्षिका सिंह ने इंदौर के सातवीं बार स्वच्छ सर्वेक्षण में शीर्ष स्थान पर रहने के बाद कही।

इंदौर की निगमायुक्त हर्षिका सिंह ने कहा कि माइक्रो मानिटरिंग और अधिकारियों के बेहतर आपसी समन्वय से यह सफलता मिली है। हमने अपर आयुक्तों के बीच इस तरह से कार्यविभाजन किया कि किसी ने सीटीपीटी का काम देखा तो किसी ने सड़कों की सफाई की जिम्मेदारी संभाली। किसी ने शौचालयों में पानी की व्यवस्था देखी तो किसी ने डस्टबीन की। हमने हर क्षेत्र में ध्यान दिया। हमने रोजाना के लक्ष्य तय किए।

जनभागीदारी का भी बड़ा सहयोग रहा। हमने बड़ी मात्रा में सिंगल यूज प्लास्टिक को जब्त किया और इसे प्रोसेस किया। इससे ईपीआर क्रेडिट प्राप्त हुआ। हमने प्रत्येक वार्ड में थ्री-आर सेंटर बनाए। ई-वेस्ट कलेक्शन और सेग्रीगेशन पर काम किया। इस बार हमने योजनाबद्ध तरीके से काम किया। सफाईमित्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए हमने इस बार अच्छा काम किया। उनके स्वास्थ्य के लिए व्यवस्था की।

उन्हें शासकीय योजनाओं का लाभ मिले यह सुनिश्चित किया। स्वच्छताकर्मियों को सिंगल कार्ड उपलब्ध कराए। इस बार सर्वे वर्षाकाल में हुआ था। हमने सर्वेक्षण टीम को समझाया कि वर्षाकाल में परिस्थितियां अलग होती हैं। हमने सभी अधिकारियों को इस तरह से मुस्तैद किया कि वे अतिरिक्त सतर्कता रखें। हमने शासन से भी अपील की थी कि वर्षाकाल के हिसाब से आंकलन किया जाए। यह निश्चित ही चुनौतीपूर्ण था, लेकिन इंदौर ने इसे पूरा किया।

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