इस एक गलती के कारण कुबड़ी हो गई थी मंथरा, कभी नहीं हो पाया था विवाह

इंदौर। इस वक्त पूरा देश खुशी से सराबोर है और भगवान राम के आगमन का बेसब्री से इंतजार कर रहा है। हर जगह अयोध्या में बने राम मंदिर की चर्चा हो रही है। बता दें कि 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की जा रही है। हम सभी ने रामायण से जुड़ी कई कहानियां पढ़ी हैं। भगवान राम अपने पिता के वचन को पूरा करने के लिए 14 वर्ष के वनवास पर गए थे। भगवान राम की वनवास यात्रा में मंथरा ने विशेष भूमिका निभाई थी।

इस कारण कुबड़ी हो गई थीं मंथरा

प्रचलित कथाओं के अनुसार, मंथरा, राजा दशरथ की तीसरी पत्नी रानी कैकेयी की दासी थी और विवाह के बाद उन्हीं के साथ वह अयोध्या आ गई थी। लेकिन कुछ स्थानों पर यह भी उल्लेख मिलता है कि मंथरा रानी कैकेयी की रिश्तेदार थी और उसका प्राचीन नाम रेखा था। कैकेयी के पिता के भाई बृहदश्व की बेटी रेखा और कैकेयी बचपन से ही दोस्त थीं। रेखा बहुत होशियार थी, लेकिन बचपन में एक बीमारी से पीड़ित हो गई। इस बीमारी के कारण उसे बहुत गर्मी और प्यास लगती थी।

एक दिन जब रेखा को बहुत प्यास लगी, तो उन्होंने इलायची, मिश्री और चंदन का शरबत पी लिया। जैसे ही उसने शरबत पिया, उसके शरीर के सभी अंगों ने काम करना बंद कर दिया। काफी इलाज के बाद रेखा ठीक हो गई, लेकिन उसकी रीढ़ की हड्डी हमेशा के लिए विकृत हो गई। इस कारण उसकी शादी नहीं हो सकी। जब कैकेयी का विवाह राजा दशरथ से हुआ, तो रेखा उनकी अंगरक्षक बनकर उनके साथ अयोध्या आ गई। बाद में उनका नाम मंथरा पड़ा।

मंथरा की बातों में आ गई थीं रानी कैकेयी

कहानियों के अनुसार, कैकेयी राजा दशरथ के साथ युद्ध करने गई थी और उस युद्ध में कैकेयी ने राजा दशरथ की जान बचाई थी। तब राजा दशरथ ने उनसे दो वरदान मांगने को कहा। रानी ने कहा कि समय आने पर मैं यह आशीर्वाद मांगूंगी। कई वर्षों के बाद जब श्री राम के राज्याभिषेक का मुद्दा उठा, तो मंथरा ने रानी कैकेयी को भगवान राम के खिलाफ भड़काया और उन्हें उन 2 वरदानों की याद दिलाई।

मंथरा की बातों से प्रभावित होकर रानी कैकेयी ने राजा दशरथ से राम के लिए 14 वर्ष का वनवास और भरत के लिए राज्य मांगा। भगवान राम ने 14 वर्ष का वनवास पूरा किया ताकि उनके पिता राजा दशरथ का वरदान व्यर्थ न जाए।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.