मंदसौर। कूनो नेशनल पार्क में चीतों को लाए लगभग एक साल पूरा हो गया है और इस दौरान वह वातावरण में अभ्यस्त भी होने लगे हैं। अब दूसरे चरण में अफ्रीका व नामीबिया से आने वाले चीतों को बसाने के लिए गांधीसागर अभयारण्य को तैयार किया जा रहा है।
संभावना बन रही है कि यहां फरवरी-मार्च में चीते आ सकते हैं। इसके लिए मुख्यमंत्री को भी बुलाया जाएगा। अभी वन विभाग का पूरा ध्यान चीतों के भोजन के लिए अभयारण्य में हिरण व चीतल को बसाने का है। विभाग ने 1250 चीतल व हिरण प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से लाकर यहां बसाने का लक्ष्य रखा है।
लगभग 150 से अधिक तो कुछ समय पहले नरसिंहगढ़ सेंचुरी से लाए भी गए थे। अभी सोमवार को भी कान्हा नेशनल पार्क से 23 चीतल व हिरण यहां लाकर छोड़े गए हैं। चीतों को बसाने के लिए गांधीसागर से रामपुरा रोड पर 64 वर्ग किमी क्षेत्र में बाड़ा बनाकर तैयार किया जा रहा है।
इन बड़े-बड़े बाड़े में चीतों को छोड़ा जाएगा। गांधीसागर अभयारण्य में स्थित घास के मैदानों को पहले ही वन्य जीव संस्थान देहरादून के जीव विज्ञानी चीतों के लिए अनुकूल बता चुके हैं। अभी बाड़े बनाने का कार्य लगभग 80 प्रतिशत पूरा हो चुका है। इसके साथ ही चीतों के भोजन के लिए चीतल व हिरण को भी लाकर छोड़ा जा रहा है। गांधीसागर अभयारण्य में कुल 1250 चीतल, हिरण छोड़े जाना है।
इसी के तहत सोमवार को कान्हा नेशनल पार्क से लाए गए 23 चीतल को गांधी सागर अभयारण्य में बनाए बाड़े में छोड़े गए। इससे पहले भी नरसिंहगढ़ के पास वन से भी चीतल लाकर यहां छोड़े गए थे। गांधीसागर अभयारण्य लगभग 300 वर्ग किमी में फैला हुआ हैं।
यह मप्र के मंदसौर-नीमच जिले के साथ ही राजस्थान के चित्तौड़ व कोटा जिले में भी फैला हुआ है। अभी अभयारण्य में मंदसौर-नीमच वाले हिस्से में चीतों को बसाने के लिए 64 वर्ग किमी क्षेत्र में बाड़े बनाए गए हैं। पहले इन्हीं बाड़ों में चीतों को रखा जाएगा।
फरवरी-मार्च के बाद कभी भी अफ्रीका, नामीबिया से आने वाली चीतों की दूसरी खेप में से यहां चीतों को रखा जाएगा। अभी इनकी संख्या कितनी होगी यह तय नहीं है मगर चीतों के भोजन के लिए हिरण चीतल को यहां लाया जा रहा है। इसके लिए बोमा तकनीक से कान्हा नेशनल पार्क, नरसिंहगढ़ अभयारण्य, वन विहार नेशनल पार्क भोपाल से चीतल हिरण लाने का कार्य किया जा रहा है।
शाजापुर से कृष्ण मृग हिरण भी लाएंगे
वन मंडल अधिकारी ने बताया कि मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में कूनो नेशनल पार्क में चीतों की सफल पुनर्स्थापना के बाद गांधीसागर अभयारण्य को चीतों का दूसरे घर के रूप में तैयार किया जा रहा है। योजना में चीतों के लिए लिए 64 वर्ग किमी का बाड़ा बनकर लगभग तैयार हो गया है।
शेष कार्य अंतिम चरण में है। इसी बीच चीतल हिरण को लाना भी शुरु हो गया है। गांधीसागर अभयारण्य में चीतों के पुनर्स्थापना के पूर्व शाकाहारी वन्य प्राणियों की संख्या बढ़ाने हेतु 1250 चीतल हिरण लाने की योजना है, ताकि चीतों को शिकार के लिए पर्याप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध हो सके।
कान्हा नेशनल पार्क से आने वाले कुल 500 में से 23 हिरण सोमवार को गांधीसागर अभयारण्य में पहुंचे हैं। इन्हें पशु चिकित्सक की निगरानी में शाकाहारी वन्य प्राणी हेतु निर्मित 90 हेक्टेयर के बाड़े में छोड़ दिया गया है।
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