अटलजी के इस्तीफे के बाद हुए उपचुनाव में उनके उत्तराधिकारी के रूप में शिवराज सिंह चौहान मैदान में उतरे और बड़े अंतर से जीत गए। शिवराज सिंह ने क्षेत्र में अपनी जड़ें मजबूत कीं। वे लगातार पांच बार सांसद चुने गए। कांग्रेस इस सीट पर हर बार प्रत्याशी बदलती रही लेकिन क्षेत्र के मतदाताओं ने वर्ष 1980 और 1984 के अलावा मौका नहीं दिया। यह संसदीय क्षेत्र एक बार फिर तब देशव्यापी चर्चा में आया जब दिल्ली की मुख्यमंत्री रह चुकीं भाजपा की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज यहां से चुनाव लड़ने पहुंचीं। उन्होंने रिकार्ड मतों से जीत हासिल की। वह दो बार इस क्षेत्र की सांसद चुनी गई। केंद्र सरकार में विदेश मंत्री रहते हुए भी क्षेत्र के लोगों से उनका सीधा जुड़ाव बना रहा।
इंदिरा लहर में भी विदिशा में लहराया था भगवा
वर्ष 1971 में जब इंदिरा लहर में कांग्रेस ने देश की 545 सीटों में से 352 सीटों पर जीत हासिल की थी, तब भी विदिशा सीट पर जनसंघ का दबदबा कायम रहा। इस चुनाव में कांग्रेस ने सागर जिले के बड़े नेता रहे मणिभाई पटेल को अपना प्रत्याशी बनाया था। उनके सामने जनसंघ ने इंडियन एक्सप्रेस के मालिक रामनाथ गोयनका को प्रत्याशी बनाकर सबको चौंका दिया था। यहां की राजनीति के जानकार और इतिहासविद गोविंद देवलिया बताते हैं कि शहरी पृष्ठभूमि के गोयनका के शुरुआती दौर में उनके चुनाव जीतने की उम्मीदें कम लग रही थीं लेकिन बाद में आकर्षण ऐसा बढ़ा कि क्षेत्र के मतदाताओं ने उन्हें भी जीत दिला दी। उस वक्त गोयनका प्रचार के लिए एंबेसेडर कार से गांवों में पहुंचते थे। उस समय उनकी कार को देखने के लिए भीड़ लग जाती थी।
सांसद के पास शिकायतें नहीं बीमारी लेकर आते थे मतदाता
विदिशा सीट के पहले सांसद शिव शर्मा से जुड़ा एक किस्सा काफी रोचक है। उनके करीबी रहे पूर्व वित्त मंत्री राघवजी बताते हैं कि शिव शर्मा मुंबई के प्रसिद्ध वैद्य थे। उनके पास लोग शिकायतें लेकर नहीं बल्कि बीमारी का इलाज कराने आते थे। प्रचार के दौरान जनसंघ ने भी उनके वैद्य होने की बात को काफी प्रचारित किया था। उनके भ्रमण के दौरान गांवों में मरीजों की भीड़ लग जाती थी। सांसद बनने के बाद अधिकतर समय मुंबई या दिल्ली में ही रहते थे। हर तीन माह में एक बार विदिशा आते थे। वे जहां रुकते थे वह घर अस्पताल में तब्दील हो जाता था।
विजयाराजे सिंधिया के जरिये कांग्रेस ने हिंदू महासभा को हराया था
वर्ष 1951 में हुए चुनाव के समय भेलसा ( विदिशा का प्राचीन नाम) गुना संसदीय क्षेत्र का हिस्सा हुआ करता था। कांग्रेस के गोपीकृष्ण विजयवर्गीय यहां से हार गए। क्षेत्र में प्रभाव बढ़ाने के लिए कांग्रेस नेतृत्व ने सिंधिया राजपरिवार से संपर्क साधा। इसी दौरान ग्वालियर राजमहल राजनीति से जुड़ गया। वर्ष 1957 में राजमाता विजयाराजे सिंधिया को कांग्रेस ने इस सीट से चुनाव लड़ाया, उन्होंने शानदार जीत हासिल की। बाद में वह भाजपा के संस्थापक नेताओं में एक बनीं।
(कंटेट सहयोग: अजय जैन)
ये हैं अब तक के सांसद
2019 : रमाकांत भार्गव (भाजपा) –
-शैलेंद्र पटेल (कांग्रेस) को हराया था
2009 और 2014 – सुषमा स्वराज (भाजपा
2009 में चौधरी मुनव्वर सलीम ( सपा) को हराया, 2014 में लक्ष्मण सिंह (कांग्रेस) को हराया
2006 ( उप चुनाव): रामपाल सिंह
-राजश्री सिंह ( कांग्रेस) को हराया था
2004, 1999, 1998, 1996. 1991 (उपचुनाव) : शिवराज सिंह चौहान
2004 में नर्मदा प्रसाद शर्मा ( कांग्रेस) को हराया, 1999 में जसवंत सिंह (कांग्रेस) को हराया, 1998 में आशुतोष दयाल शर्मा (कांग्रेस) को हराया, 1996 में हृदय मोहन जैन (कांग्रेस) को हराया, 1991 में प्रतापभानु शर्मा (कांग्रेस) को हराया
1991 : अटल बिहारी वाजपेयी (निर्वाचन के बाद त्यागपत्र)
-प्रताप भानु शर्मा (कांग्रेस) को हराया
1989 : राघवजी
प्रतापभानु शर्मा (कांग्रेस) को हराया था
1980 : प्रतापभानु शर्मा (कांग्रेस)
राघवजी (भाजपा) को हराया
1984 : प्रतापभानु शर्मा (कांग्रेस)
राघवजी (भाजपा) को हराया
1977 : राघवजी
गुफराने आजम ( कांग्रेस) को हराया
1971 : रामनाथ गोयनका
मणिभाई पटेल ( कांग्रेस) को हराया
1967 : शिव शर्मा
रामसहाय पांडे (कांग्रेस) को हराया
विदिशा – रायसेन संसदीय क्षेत्र में
आठ विधानसभा क्षेत्र हैं। विदिशा, गंजबासौदा, सांची, सिलवानी, भोजपुर, बुधनी, इछावर, खातेगांव (देवास जिला)
कुल मतदाता- 19,19,785
पुरुष मतदाता- 9,96,048
महिला मतदाता- 9,23,689
थर्ड जेंडर- 48
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