पांच हजार सिटी बस यात्रियों के लिए फजीहत का सबब बना किफायती पास

भोपाल। बीसीएलएल(भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड) की बसों में छात्र-छात्राओं और नौकरी पेशा लोगों को किफायती दरों पर यात्रा कराने के लिए स्मार्ट पास बनाए गए हैं। लेकिन बस आपरेटरों की मनमानी के कारण यात्री इन पास का इस्तेमाल यात्रा के लिए नहीं कर पा रहे हैं। उलटा ये स्मार्ट पास यात्रियों के लिए बेइज्जती का कारण बन गए हैं। यदि यात्री स्मार्ट पास से किराया भुगतान की बात करता है, तो परिचालक उसे रास्ते में ही उतार देते हैं।

मल्टीरूट पासधारकों को रोकते हैं कंडक्टर

बता दें कि 800 रुपए वाला स्मार्ट पास लेने के बाद यात्री महीने भर किसी भी मार्ग की बस में असीमित सफर कर सकते हैं। लेकिन पिछले एक माह से पास धारकों को बस में चढ़ने नहीं दिया जा रहा। अगर कोई चढ़ भी गया तो परिचालक पहले उसे अपमानित करते हैं, फिर रास्ते में जबरन उतार देते हैं। परिचालकों का कहना होता है कि मल्टीरूट पास नहीं चलेगा, सेपरेट रूट पास बनवाओ। बाकायदा बसों में पास मान्य न होने का नोटिस भी चस्पा किया गया है। इस मामले में यात्री बीसीएलएल में भी शिकायत कर चुके हैं। लेकिन एक माह का समय बीतने के बाद भी यात्रियों को कोई राहत नहीं मिली।

इसलिए बस आपरेटर नहीं स्वीकार कर रहे पास

कर्मचारियों ने बताया कि 800 रुपये का मासिक पास बीसीएलएल ने बनाया है। इसके अलावा आपरेटर्स को अलग-अलग मार्गों पर सिंगल रूट पास बनाने की छूट भी दी गई है। जैसे-नीलबड़ से 10 नंबर रूट पर सिंगल रूट पास बनेगा, तो इसका पैसा सीधे बस आपरेटर्स को मिलेगा। 800 रुपए वाला पास आनलाइन बनता है। यह बीसीएलएल की सभी बसों और मार्गों पर मान्य होता है। इसका पैसा अलग-अलग आपरेटर्स में वितरित होता है। यही वजह है कि सीएनजी बस आपरेटर्स इस पास को नहीं मान रहे हैं।

25 मार्गों पर 360 बसों में हो रही परेशानी

नगर निगम की होल्डिंग कंपनी बीसीएलएल शहर में 25 मार्गों पर 360 सिटी (रेड) बसों का संचालन करती है। इनमें 77 सीएनजी और बाकी 283 डीजल बसें हैं। इन बसों पास का रुटीन में इस्तेमाल करने वालों के लिए बीसीएलएल ने पास सिस्टम बस सुविधा दी है। लेकिन अापरेटरों के द्वारा इस पास काे स्वीकार नहीं करने से पांच हजार से अधिक यात्री परेशान हो रहे हैं।

इनका कहना

बस आपरेटरों के द्वारा 800 रुपये के पास स्वीकार नहीं करने की शिकायत मिली है। इस संबंध में बस आपरेटर्स को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है।

– संजय सोनी, पीआरओ, बीसीएलएल

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