उज्जैन । मोक्षदायनी शिप्रा नदी में कान्ह का प्रदूषित पानी मिलने से रोकने को त्रिवेणी घाट के पास मिट्टी का कच्चा बांध बनाया जा रहा है। जल संसाधन विभाग द्वारा डंपर भर- भर के यहां मिट्टी लाई जा रही है, जिसे जेसीबी से कान्ह नदी में डाल आकार दिया जा रहा है। अगले चार दिनों में बांध बना लेने का दावा है। कहा गया है कि ज्यादातर पानी राघौपिपलिया गांव में ही रोक लिया जाएगा।
शिप्रा का स्वच्छ जल भी दूषित होता है
मालूम हो कि देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर के नालों का सीवेज युक्त गंदा पानी उज्जैन आकर कान्ह नदी के रूप में शिप्रा में आकर मिलता है। इससे शिप्रा का स्वच्छ जल भी दूषित हो जाता है।
अरबों रुपए रुपये खर्च किए
कान्ह का पानी साफ करने और शिप्रा के नहान क्षेत्र (त्रिवेणी से कलियादेह महल) में मिलन रोकने को शिवराज सरकार ने अरबों रुपए रुपये खर्च कर इंदौर में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित कराए थे। कान्ह डायवर्शन पाइपलाइन बिछवाई थी। मगर नतीजा ये निकला की योजना पूरी तरह सफल न हो पाई। जवाब में साल 2022 में सरकार ने पूर्व योजना की तरह इस बार 598 करोड़ रुपये की क्लोज डक्ट परियोजना बनाकर स्वीकृत की।
अभी मिल रहा है गंदा पानी
फर्क ये किया कि इस बार सीवेज उद्वलन क्षमता 5 क्यूमेक से बढ़ाकर 40 क्यूमेक कर दी। साथ ही पाइपलाइन का आकर गोल न करके चौकोर कर दिया। त्रिवेणी पर स्थाई बांध बनाना भी योजना में शामिल किया। काम कराने को निविदा प्रस्ताव आमंत्रित किए। एक फर्म तय कर ली है मगर उसे कार्य आदेश जारी नहीं किया है। वर्तमान स्थिति ये है कि शिप्रा में कान्ह का गंदा पानी मिलना जारी है। ये मिलन रोकने को विभाग ने बांध बनाने का काम शुरू कर दिया गया है।
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