पौष अमावस्या पर जरूर करें तर्पण व पिंडदान, कालसर्प दोष की पूजा से दूर होंगे सभी दुख

इंदौर। सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष पौराणिक महत्व बताया गया है। हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के एक दिन बाद अमावस्या तिथि आती है। साल 2024 की पहली अमावस्या 11 जनवरी को आने वाली है और इस पौष मास की इस अमावस्या को पितरों की शांति के लिए शुभ माना जाता है। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, पौष मास की अमावस्या तिथि के दिन कालसर्प दोष की पूजा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। इसके अलावा इस अवसर पर चांदी से निर्मित नाग-नागिन की विधिपूर्वक पूजा करना भी शुभ माना जाता है। ऐसा करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।

पितरों के तर्पण व पिंडदान का महत्व

पौष माह की अमावस्या तिथि पर पितरों की तृप्ति करने के लिए तर्पण और पिंडदान करना चाहिए। ऐसा करने से पितृ दोष से निजात मिलती है और पितरों के आशीर्वाद से घर में खुशहाली बनी रहती है।

दान का महत्व

पौष अमावस्या की अमावस्या पर 11 जनवरी को दान करना भी शुभ माना जाता है। इस अमावस्या पर गरीब लोगों को मीठे चावल का दान करना चाहिए। इसके अलावा ब्राह्मणों को भोजन कराना शुभ माना जाता है और साथ ही दान-दक्षिणा भी करना चाहिए।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.