इंदौर। अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होगी। इससे 18 दिन पहले ब्रह्ममुहूर्त में अहिल्या की नगरी के पश्चिम क्षेत्र का पांच किलोमीटर लंबा मार्ग राममयी होगा। हर तरफ प्रभु श्रीराम नजर आएंगे। इसके लिए खास तैयारी की गई है। चार दिनी रणजीत अष्टमी महोत्सव के समापन पर प्रभात फेरी 4 जनवरी को सुबह 5 बजे निकलेगी। जहां इसमें प्रमुख आकर्षण का केंद्र अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की वृहद प्रतिकृति होगी। 40 फीट लंबी, 15 फीट चौड़ी और 21 फीट उंचाई है। साथ ही हजार श्रद्धालु भगवा रंग धारण किए जय श्रीराम का जयघोष लगाते चलेंगे। साथ ही 125 स्वागत मंचों लगाए जाएंगे। हर स्वागत मंच पर प्रभु श्रीराम के दर्शन होंगे। मार्ग को भगवा ध्वजाओं से सजाए गया है।
2 हजार सदस्य संभालेंगे प्रभात फेरी की व्यवस्था
प्रभात फेरी की व्यवस्था निस्वार्थ भाव से जुड़े रणजीत भक्त मंडल के 2 हजार सदस्य संभालेंगे। हालांकि मंडल में 22 हजार रजिस्टर्ड सदस्यी है। इस भक्त मंडल की खासियत है कि इसमें कोई पदाधिकारी नहीं बल्कि सभी समान रणजीत बाबा के भक्त हैं।
मुख्य पुजारी पं. दीपेश व्यास ने बताया कि अयोध्या में भगवान राम की प्रतिष्ठा का अवसर हर सनातनी के लिए खास है। इसके चलते इस बार रणजीत अष्टमी महोत्सव को भगवान श्रीराम को समर्पित किया है। प्रभातफेरी रणजीत हनुमान मंदिर, महूनाका चौराहा, द्रविड नगर, महू नाका चौराहा से घूमकर अन्नपूर्णा मंदिर रोड पर पहुंचेगी। इसके बाद नरेंद्र तिवारी मार्ग से होते हुए पुन: मंदिर पर पहुंचेगी। भ्रमण में 5 से 6 घंटे का समय लगता है।
बंगाल के 10 कलाकारों ने एक माह में किया तैयार
अयोध्या में बन रहे श्रीराम मंदिर की विशाल प्रतिकृति का निर्माण बंगाल के 10 कलाकारों द्वारा एक माह में की गई है। इसका निर्माण लोहा, लकड़ी, कपड़ा, थर्माकोल से किया गया है। इसे डिजाइनर जाली और रंगों से सजाया गया। यह प्रतिकृति 16 पहिए वाली गाड़ी पर रखकर झांकी की तरह प्रभातफेरी में शामिल की जाएगी। प्रभातफेरी रणजीत हनुमान मंदिर से आरंभ होकर महू नाका, अन्नपूर्णा माता मंदिर, नरेंद्र तिवारी मार्ग होते हुए मंदिर पहुंचकर संपन्न होगी।
प्राचीन मंदिर की 137 साल पुरानी परंपरा
रणजीत हनुमान मंदिर से प्रभातफेरी निकालने की परंपरा 137 साल पुरानी है जो आज भी जारी है। इसकी शुरुआत पं. भोलाराम व्यास ने की थी। उस समय हाथ में रणजीत हनुमान की तस्वीर लेकर मंदिर परिसर में पैदल सात परिक्रमा लगाई जाती थी। इसके बाद प्रभातफेरी ठेला गाड़ी पर निकाली जाने लगी। 2012 के बाद प्रभातफेरी के स्वरूप वृहद हुआ और बाबा को बग्घि में बैठाकर घूमाया जाने लगा। 2014 में बाबा का विग्रह तैयार कर स्वर्ण रथ पर प्रभातफेरी निकाली जाने लगी। प्रभातफेरी में 75 हजार से अधिक भक्त शामिल होते हैं।
51 हजार रक्षासूत्र किए अभिमंत्रित
रणजीत अष्टमी महोत्सव में बुधवार को 51 हजार रक्षासूत्रों को अभिमंत्रित किया गयाा। इन रक्षा सूत्र को निश्शुल्क वितरित किया गया। इससे पहले सुबह रणजीत बाबा के उत्सव विग्रह का महाभिषेक किया गया। इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
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