गाजा पट्टी के सबसे बड़े शहर गाजा सिटी में इजरायल की सेना घुस चुकी है और हमास के ठिकानों के खिलाफ तेज कार्रवाई कर रही है।
- गाजा में मानवता का संकट है। हर गुजरते घंटे के साथ युद्ध विराम की आवश्यकता अधिक जरूरी होती जा रही है।
- गुटरेस ने कहा कि 89 कर्मचारियों की मौत से हम बेहद सदमे में हैं।
- हमारे सहयोगियों को बहुत याद किया जाएगा और उन्हें भुलाया नहीं जाएगा।
रॉयटर्स, यरुशलम। इजराइल और हमास के बीच युद्ध को एक माह हो चुका है और इस दौरान गाजा में अभी तक 10328 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। विकराल स्थिति के बीच संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि गाजा “बच्चों के लिए कब्रिस्तान बनता जा रहा है”। एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, गुटेरेस ने न्यूयॉर्क में संवाददाताओं से कहा, ” गाजा में मानवता का संकट है। हर गुजरते घंटे के साथ युद्ध विराम की आवश्यकता अधिक जरूरी होती जा रही है। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि एक माह से जारी इजरायल-हमास युद्ध में फिलिस्तीन शरणार्थियों के लिए काम कर रहे संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी (UNRWA) के 89 कर्मचारी भी मारे गए हैं। गुटरेस ने कहा कि 89 कर्मचारियों की मौत से हम बेहद सदमे में हैं। हमारे सहयोगियों को बहुत याद किया जाएगा और उन्हें भुलाया नहीं जाएगा।
इजरायल बोला, खत्म होगा हमास का अस्तित्व
इस बीच इजरायल के रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने धमकी दी है कि मौजूदा युद्ध समाप्त होने के बाद इजरायल गाजापट्टी में किसी भी स्थिति का जवाब देने के लिए कार्रवाई की पूर्ण स्वतंत्रता” बरकरार रखेगा। सीएनएन के हवाले से गैलेंट ने कहा कि इस युद्ध अभियान के अंत में गाजा में हमास का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। भविष्य में गाजा से इजरायल के लिए कोई सुरक्षा खतरा नहीं होगा।
गाजा में अभी तक 10328 लोगों की मौत
गाजा पट्टी के सबसे बड़े शहर गाजा सिटी में इजरायल की सेना घुस चुकी है और हमास के ठिकानों के खिलाफ तेज कार्रवाई कर रही है। गाजा की सीमा पर भी इजरायल के टैंक तैनात हैं और वे गोलाबारी कर रहे हैं। इजरायली सेना की दक्षिणी कमान के प्रमुख मेजर जनरल यारोन ने कहा कि हम गाजा सिटी के बीच में जाकर हमास के ठिकानों को नष्ट कर रहे हैं। इस बीच गाजा का शिफा अस्पताल मरीजों से भरा हुआ है। थके-भूखे लोगों पानी के लिए भी तरस रहे हैं। हालात इस कदर बदतर हो गए हैं कि बिना एनेस्थीसिया के बच्चों की ब्रेन सर्जरी की जा रही है। अस्पतालों में चीखें गूंज रही है। घावों को धोने के लिए साफ पानी भी उपलब्ध नहीं है।
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