इंदौर। पुराणों में लिखी हुई कई कहानियां आज भी रहस्यमयी हैं, लेकिन इनके प्रभाव से कलयुग में भी लोग हैरान रह जाते हैं। ऐसा ही एक रहस्य की गाथा शिव पुराण में भी लिखी हुई है। माता पार्वती ने समुद्र को क्रोधित होकर श्राप दे दिया था, जिसका प्रभाव आज भी दिखता है। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने जानकारी दी कि माता पार्वती के श्राम के कारण ही समुद्र का पानी खारा है।
समुद्र को माता पार्वती ने क्यों और क्या श्राप दिया था?
पौराधिक कथा की मानें तो शिव जी को पाने के लिए माता पार्वती ने तप शुरू कर दिया था। वह लगातार 12 सहस्त्र वर्षों तक तप कर रही थीं। उनके तप का तेज देखकर देवलोक में बैठे देवता भी असहज हो गए थे। सभी लोक थर-थर कांपने लगे थे।
देवताओं का सिंहासन उनके तप के कारण जब डोलने लगा तो वह भी परेशान हो गए। उनके मन में माता पार्वती के तप को रोकने का विचार करने लगे। वह माता पार्वती के समक्ष विनती करने के लिए पहुंचे। इस बीच समुद्र देव माता पार्वती का तेज देखकर मोहित हो गए।
माता पार्वती ने अपना तप पूरा कर आंखे खोलीं तो समुद्र देव ने उनको विवाह का प्रस्ताव दिया। माता पार्वती ने बेहद सहज होकर उनके प्रस्ताव को ठुकरा दिया। उन्होंने कहा कि वह शिवजी को ही अपने पति के रूप में मान चुकी हैं। वह किसी ओर के बारे में सोच भी नहीं सकती हूं। यह सुन समुद्र देव क्रोधित हो गए।
समुद्र देव ने घमंड में की गलती
समुद्र देव ने क्रोध में आकर भूल कर दी। उन्होंने भगवान शिव के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल कर दिया। वह घमंड में बोले कि उनका मीठा पानी पी कर ही दुनिया भर के जीवों की प्यास बुझती है। उनका आचरण माता पार्वती को बिल्कुल भी पसंद नहीं आया।
समुद्र देव ने मांगी क्षमा
माता पार्वती ने समुद्र श्राप दे दिया कि अभी से तुम्हारा पानी खारा हो जाएगा। तुम्हारे पानी को अब से कोई भी नहीं पी पाएगा। माता का श्राप सुनकर समुद्र देव भी परेशान हो गए। उन्होंने बिना देरी किए माता से क्षमा मांगी। माता ने उन्हें क्षमा भी किया, लेकिन श्राप आज तक है।
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