फादर बोले- चर्च सबके लिए खुला
इस बारे में चर्च के फादर का कहना है कि किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा यह पंपलेट बाउंड्रीवाल पर चिपकाए गए हैं। अंदर ऐसा कोई भी पंपलेट नहीं लगा है। ईश्वर सबके लिए है और उनका दरवाजा सभी के लिए खुला हुआ है। हालांकि क्रिसमस का पर्व की व्यस्तता होने के कारण अब तक इस मामले की शिकायत चर्च के फादर द्वारा नहीं कराई गई है।
ऐतिहासिक है यह चर्च
मालूम हो कि ऐतिहासिक आल सेंट्स चर्च सीवन नदी के किनारे स्थित है। यह चर्च मध्य प्रदेश का एक ऐतिहासिक चर्च है। इस चर्च को स्काटलैंड के ऐतिहासिक चर्च की कापी कहा जाता है। क्रिसमस को देखते हुए यहां भी सजावट और तैयारियां देखते ही बन रही हैं। ब्रिटिश शासनकाल में सन 1834 में सीहोर में पदस्थ पोलिटिकल एजेंट जे डब्लू ओसबोर्न ने आलसेंट्स चर्च का निर्माण कराया था, जो 27 साल में बनकर तैयार हुआ था। इसी प्रकार का चर्च स्काटलैंड में था। लाल पत्थरों का यह चर्च मध्य भारत का पहला चर्च था। यह चर्च सीहोर जिले की एक महत्वपूर्ण आकर्षक इमारतों में से एक है। इस चर्च में ब्रिटिश काल के फौजी अधिकारी प्रार्थना के लिए एकत्रित होते थे। क्योंकि सीहोर तत्कालीन ब्रिटिश शासन की छावनी थी। यह चर्च पुरातत्व विभाग द्वारा संग्रहित इमारतों की सूची का एक हिस्सा है और अपनी भव्यता एवं सौंदर्य के कारण पूरे प्रदेश के आकर्षण का केंद्र है।
खास लकड़ी से बनी हैं चर्च की बेंच
सीहोर का ऐतिहासिक आलसेंट्स चर्च पत्थर का बना हुआ है। चर्च की बेंच ऐसी लकड़ी से निर्मित हैं जो करीब 189 वर्ष बाद भी यथास्थिति में है। इसकी बैठक संख्या करीब 100 लोगों की है। चर्च परिसर का क्षेत्रफल एक एकड़ है और इसकी व्यवस्था एवं रखरखाव का कार्य चर्च कमेटी करती है। इस चर्च की ख्याति सुनकर ब्रिटिश पालिटिकल एजेंट की पांचवी पीढ़ी के इंग्लैंड निवासी बैरिस्टर निकोलसन तथा उनकी बैरिस्टर पत्नी अलेक्जेंड्रिया ने 2004 में सीहोर आकर अपने परदादा द्वारा निर्मित चर्च के दर्शन किए थे। इसे देखकर वह दोनों बहुत खुश हुए थे। वास्तव में यह चर्च सीहोर की आस्था और अध्यात्म की अमूल्य निधि है। भोपाल रियासत का पहला चर्च है। जानकार बताते हैं कि यह भोपाल रियासत का पहला चर्च है। आल सेंट्स चर्च भोपाल रियासत का पहला चर्च था। इसीलिए इस चर्च में भोपाल और उसके आसपास रहने वाले अंग्रेज अधिकारी अक्सर प्रार्थना के लिए आया जाया करते थे। कई दशक बीत जाने के बाद भी यह चर्च काफी आकर्षक है, जो देखने में ऐसा लगता है, जैसे कुछ साल पहले ही बना।
चर्च सभी के लिए खुला है। यहां कोई भी आ सकता है। किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा यह शरारती कार्य किया गया है, जिसने बाउंड्रीवाल व गेट के पास संभवत: रात के समय यह पंपलेट चिपकाए हैं।
– रेवेंट्स् सनी माशी, फादर आल सेंट्स चर्च
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