भोपाल । नए साल में मोहन सरकार प्रदेशवासियों को सौगात देगी। एक जनवरी 2024 से मध्य प्रदेश के 43 जिलों में साइबर तहसील की व्यवस्था लागू हो जाएगी। इससे रजिस्ट्री के बाद नामांतरण, अविवादित नामांतरण के लिए तहसील कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाना होगा।
अभी केवल 12 जिलों में है यह व्यवस्था
अभी केवल 12 जिलों में ही साइबर तहसील की व्यवस्था लागू है। शेष 43 जिलों में अब भी दफ्तर के चक्कर लगाने होते हैं, लेकिन एक जनवरी से अन्य 43 जिलों में भी साइबर तहसील की व्यवस्था लागू हो जाएगी। इसके लिए अलग से स्टाफ भी रखा जाएगा और प्रमुख राजस्व आयुक्त कार्यालय में भी स्टाफ बढ़ाया जाएगा। बता दें कि मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने 13 दिसंबर को मंत्रिमंडल की पहली बैठक एक जनवरी 2024 से साइबर तहसील की व्यवस्था प्रदेश के सभी 55 ज़िलों में लागू करने का निर्णय लिया था।
दतिया और सीहोर से शुरू हुआ था पायलट प्रोजेक्ट
मध्य प्रदेश में सबसे पहले दतिया एवं सीहोर दो जिले में पायलट प्रोजेक्ट के तहत 27 मई 2022 को साइबर साइबर तहसील लागू की गई थी। इसके लिए तत्कालीन गृह मंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा प्रयासरत थे। इसके बाद छह अक्टूबर 2022 को इंदौर, हरदा, डिंडौरी एवं सागर जिले में साइबर तहसील लागू की गई। 10 अगस्त 2023 को साइबर तहसील आगर मालवा, बैतूल, उमरिया, श्योपुर, विदिशा एवं ग्वालियर छह जिलों में प्रभावशील की गई। इस तरह डेढ़ साल में साइबर तहसील सिर्फ 12 जिलों में ही प्रभावशील थी। अब यह साइबर तहसील शेष 43 जिलों में भी एक जनवरी से लागू की गई है।
फेसलेस और पेपरलेस है साइबर तहसील में व्यवस्था
प्रदेश में बिना आवेदन, नामांतरण और अभिलेख दुरुस्तीकरण की व्यवस्था जून, 2022 से लागू की गई है। इसे साइबर तहसील नाम दिया गया है। इसमें रजिस्ट्री उपरांत, क्रेता के पक्ष में अविवादित नामांतरण, एक फेसलेस, पेपरलेस तरीके से आनलाइन प्रक्रिया के द्वारा 14 दिन में बिना आवेदन के और बिना तहसील के चक्कर लगाए स्वतः हो जाता है और खसरे तथा नक्शे में भी क्रेता का नाम चढ़ जाता है। वर्तमान में यह व्यवस्था प्रदेश के 12 जिलों की 442 तहसीलों में लागू है। इसके माध्यम से अब तक 16 हजार से अधिक प्रकरणों का निराकरण किया जा चुका है।
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