सरकार बदलते ही सौभाग्य घोटाले की जांच तेज, 102 अफसर जांच के घेरे में

जबलपुर। मप्र पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य) की जांच एक बार फिर तेज हो गई है। नई सरकार बनने के बाद मामले पर कार्रवाई तेज करने के निर्देश मिले हैं। अब तक की जांच में सात जिलों में 44 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमिततता सामने आई है। सौभाग्य योजना की जांच चार साल से चल रही है। इसमें अभी तक आठ अभियंताओं को दोषी मानकर बर्खास्त किया गया था लेकिन पांच अभियंता आदेश के खिलाफ कोर्ट गए जहां से उन्हें राहत मिली। इनके खिलाफ नए सिरे से जांच शुरू हुई। पूरे मामले में फिलहाल 102 अभियंता जांच के दायरे में है। कंपनी प्रबंधन ने जनवरी में आरोपितों के खिलाफ जांच नतीजों के आधार पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए है।

क्या है सौभाग्य योजना

वर्ष 2018 में पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अंतर्गत हुए प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य) का काम पूरा हुआ। कंपनी क्षेत्र में करीब 900 करोड़ रुपये का काम किया गया। इसमें दूर दराज के बिजली विहीन गांव, मजरे, टोलों में इन्फ्रस्ट्रक्चर खड़ा कर बिजली पहुंचाना था। केंद्र सरकार की इस योजना में समय सीमा में काम करने पर अभियंताअों को पुरस्कार भी बांटा गया। अभियंता अपने-अपने क्षेत्र में तेजी से काम करवाने के लिए ठेकेदारों को मनमाने तरीके से काम बांटा। कई कार्य बिना निविदा निकाले ही दिए गए। काम का भौतिक सत्यापन कराए बगैर ही ठेकेदारों को भुगतान हुआ। डिंडौरी और मंडला में सबसे पहले सौभाग्य योजना में घोटाले की शिकायत हुई। जहां पर कई अनियमिततता मिली। उस वक्त प्रदेश में तत्ताकालीन कमल नाथ सरकार ने इस मामले की जांच शुरू कर करवाई। विधानसभा में मामला उठा तो ऊर्जा विभाग ने विस्तृत जांच के आदेश दिए। बाद में शिवराज सरकार में भी जांच हुई, कुछ इंजीनियरों के खिलाफ कार्रवाई हुई लेकिन बाद में मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

सौभाग्य योजना में सात जिलों में 44 करोड़ रुपये बिना कार्य के ठेकेदारों को भुगतान हुए है यह बात जांच में सामने आई। इसके बाद ठेकेदारों से अतिरिक्त भुगतान की राशि की वसूली के आदेश पूर्व में हुए थे। सीधी, सिंगरौली और सतना जिले से अभी तक 18 करोड़ रुपये वसूल लिए गए हैं। 26 करोड़ रुपये मंडला, डिंडौरी,सागर, रीवा जिले में काम करने वाले ठेकेदारों से वापस लिया जाना शेष है। सौभाग्य योजना के घोटाले में अभी 10 अफसरों के खिलाफ जांच पूरी हो गई है इनके खिलाफ विभागीय स्तर पर कार्रवाई का निर्णय लिया जाना है। इसमें दो अधीक्षण यंत्री अलीम खान सीधी और जीेके द्विवेदी सतना भी शामिल है ये दोनों सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इसके अलावा आठ अन्य में कार्यपालन अभियंता और सहायक अभियंता स्तर के अधिकारी है। ये सभी सागर,सतना और सीधी जिले में कार्यरत हैं।

87 के खिलाफ जांच जारी

सौभाग्य योजना में अधीक्षण यंत्री, कार्यपालन यंत्री, सहायक अभियंता और कनिष्ठ अभियंता स्तर के अधिकारियों के खिलाफ जांच हो रही है। इन्होंने ने ही योजना का कार्य ठेकेदारों को दिया और भुगतान संबंधी कार्रवाई का सत्यापन किया। बता देंं कि रीवा जिले की जांच शहडोल संभाग के मुख्य अभियंता शिशिर श्रीवास्तव, सिंगरौली जिले की जांच रीवा संभाग के मुख्य अभियंता देवेंद्र कुमार और सतना -सीधी जिले की जांच मुख्य अभियंता सतर्कता रीव, मंडला की जांच मुख्य अभियंता जबलपुर संभाग जीडी वासनिक, डिंडौरी जिले की जांच मुख्य अभियंता सतर्कता अरविंद चौबे कर रहे हैं।

फैक्ट फाइल

  • 102 अभियंता जांच के दायरे में जो सीधे तौर पर सौभाग्य योजना में आरोपित बने हुए है।
  • आठ अभियंताओं को कंपनी प्रबंधन ने बर्खास्त करने की कार्रवाई की थी। पांच जांच प्रक्रिया के खिलाफ कोर्ट गए और राहत ले ली। इनके खिलाफ नए सिरे से जांच।
  • 44 करोड़ की वित्तीय अनियमिततता हुई। 18 करोड़ बिजली ठेकेदारों से वसूल किया गया। शेष 26 करोड़ की वसूली प्रक्रियाधीन है।

ऐसी-ऐसी गड़बड़ी

  • सौभाग्य योजना का काम कागजों में पूरा दिखाया जबकि जमीनी स्तर पर बिजली के पोल मिले न लाइन खींची गई।
  • ठेकेदार ने कार्य पूर्णत: का आवेदन किया जिसे बिना सत्यापित किए ही अभियंताओं ने सहीं मानकर भुगतान स्वीकृति दी।
  • जिन स्थानों पर बिजली चालू होने का दावा कागजों में हुआ वहां बिजली की अधोसंरचना ही नहीं तैयार की गई।
  • कई जगह नए ट्रांसफार्मर और पाेल लगाने की बजाए पुराने कंपनी के ही उपकरण लगाए गए थे।

कंपनी प्रबंधन ने सौभाग्य योजना की जांच में तेजी लाने के निर्देश मैदानी अमले को दिए हैं। प्रबंध संचालक की तरफ से कहा गया है कि इस मामले में आरोपित अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। सौभाग्य मामले में कुछ अफसरों की जांच अंतिम चरण में है दिसंबर अंत तक हम और जांच पूरी कर निर्णय कर लेंगे। 2019 में भले जांच शुरू हुई लेकिन पुराने आदेश पर कोर्ट से कई ने आदेश पारित करवा लिया था जिसके बाद अगस्त 2022 में नए सिरे से मामले की जांच शुरू करवाई गई।

नीता राठौर, सीजीएम मानव संसाधन पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी।

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