मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर सालों बाद बनने जा रहा दुर्लभ ‘शुक्ल’ योग, पूजा का मिलेगा दोगुना फल

इंदौर।  प्रत्येक माह में पूर्णिमा तिथि, शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन आती है। वहीं, 26 दिसंबर को मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा है। सनातन धर्म में पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने की परंपरा है। इसके साथ ही जप-तप और दान भी होते हैं। पूर्णिमा के दिन संसार के रचयिता भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान और भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को परलोक में दिव्य सुखों की प्राप्ति होती है। पंडित आशीष शर्मा के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर शुक्ल योग और भद्रावास योग बन रहा है। इन योगों में भगवान विष्णु की पूजा करने से अनंत फल मिलता है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि 26 दिसंबर को सुबह 5.46 बजे शुरू होगी और अगले दिन यानी 27 दिसंबर को सुबह 6.02 बजे समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मानी जाती है। इसलिए मार्गशीर्ष पूर्णिमा 26 दिसंबर को पड़ रही है।

शुक्ल योग

ज्योतिषियों के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर शुक्ल योग बन रहा है। यह योग 27 दिसंबर को दोपहर 3.22 बजे तक चलेगा। इसके बाद ब्रह्म योग का संयोग बनता है। शुक्ल योग को बहुत शुभ माना जाता हैं। इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

भद्रावास योग

मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर भद्रवास योग भी बन रहा है। इस योग का प्रशिक्षण शाम 05:51 बजे तक रहेगा। ज्योतिषियों के अनुसार, इस दौरान भद्रा स्वर्ग में रहेगी। धार्मिक मान्यता है कि भद्रा के स्वर्ग या पाताल में रहने के दौरान पृथ्वी पर मौजूद सभी समूहों को आशीर्वाद मिलता है।

डिसक्लेमर

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