बालाघाट। गुरुवार को गढ़ी क्षेत्र में हार्डकोर नक्सली चैतू को ढेर करने के बाद पुलिस के हौसले बुलंद हैं तो नक्सलियों के हौसले पस्त हो चुके हैं, लेकिन 10 दिसंबर को रूपझर थाना क्षेत्र के सोनगुड्डा व सुंदरवाही मार्ग पर हिंदी के साथ अंग्रेजी में लिखे नक्सली बैनर व पर्चे पांच दिन बाद भी चर्चा का विषय बने हुए हैं।
वैसे तो नक्सल प्रभावित बालाघाट में नक्सली बैनर और पर्चे मिलना नई बात नहीं है, लेकिन पहली बार बैनर और पर्चे में हिंदी के साथ अंग्रेजी भाषा में मिलना पुलिस के लिए भी चौंकाने वाला है, इसलिए पुलिस इसकी जांच कर रही है। हालांकि फिलहाल पुलिस इसे नक्सली समर्थकों और शरारती तत्वों की करतूत मान रही है फिर भी उसने पांच दिन की तफ्तीश में कुछ संदिग्धों को भी चिह्नित किया है।
गोंडी, छत्तीसगढ़ी को छोड़ हिंदी-अंग्रेजी में दी धमकी यह पहला मौका है जब नक्सलियों ने गोंडी, छत्तीसगढ़ी को छोड़कर हिंदी और अंग्रेजी भाषा में लिखे बैनर और पर्चों के माध्यम से अपना विरोध जताया है। इन बैनर-पर्चों को पुलिस ने जब्त कर लिया है और इसे नक्सली समर्थकों की करतूत मानकर इसकी विवेचना में जुटी है।
अलबत्ता, पुलिस अधीक्षक समीर सौरभ का कहना है कि ये बिल्कुल भी प्रमाणित नहीं है कि ये नक्सलियों द्वारा बांधा गया बैनर है। वह मानते हैं कि यह बैनर नक्सली समर्थक या फिर शरारती तत्वों की करतूत है।
नक्सली बैनर ग्रामीणों से संवाद करने के उद्देश्य नहीं बांधा गया है, क्योंकि जिस क्षेत्र में बैनर मिले हैं, वहां लोगों को हिंदी पढ़ने में भी दिक्कत होती है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि ये नक्सली बैनर किसी ओर को लक्ष्य बनाने के उद्देश्य से बांधा गया है।
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