हाथ की रेखाएं भी बनाती है गजलक्ष्मी योग, मौत की बाद भी नहीं खत्म होती ऐसे लोगों की कीर्ति

इंदौर। भारतीय ज्योतिष शास्त्र में हस्तरेखा ज्योतिष का भी विशेष महत्व है। ज्योतिष शास्त्र में यह मान्यता है कि हर व्यक्ति को उसके कर्म के अनुसार ही फल मिलता है और कोई भी व्यक्ति जैसा कर्म करेगा, उसी के आधार पर हाथ की रेखाएं व योग भी निर्मित होते हैं। कुंडली ज्योतिष के अलावा हस्तरेखा ज्योतिष में भी गजलक्ष्मी योग बनता है। हस्तरेखा ज्योतिष के जानकार डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली ने अपनी किताब वृहद हस्तरेखा शास्त्र में हथेली में बनने वाले गजलक्ष्मी योग के बारे में विस्तार से जानकारी दी है।

हथेली में कब बनता है गजलक्ष्मी योग

डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली के अनुसार, किसी जातक के दोनों हाथों में भाग्य रेखा मणिबंध से शुरू होकर सीधे शनि पर्वत की ओर जाती है और सूर्य पर्वत विकसित होने के साथ-साथ उस पर सूर्य रेखा भी पतली लंबी और लालिमा लिए होती है और इसके अलावा मस्तिष्क रेखा, स्वास्थ्य रक्षा तथा आयु रेखा स्पष्ट दिखाई देती है तो ऐसे जातकों के हाथ में गजलक्ष्मी योग बनता है।

चरम प्रसिद्धी पाते हैं ऐसे लोग

जिन लोगों के हाथ में गजलक्ष्मी योग होता है, ऐसे लोगों को जन्म साधारण परिवार में होता है, लेकिन अपने कार्य के कारण पूरे समाज में यश पाते हैं। ऐसे लोगों को कभी भी आर्थिक एवं भौतिक दृष्टि से किसी प्रकार की कोई कमी नहीं रहती। गजलक्ष्मी योग के कारण ऐसे लोग स्वभाव से काफी नम्र, विवेकवान और गुणवान होते हैं।

विदेशों में भी होता है नाम

गजलक्ष्मी योग के कारण ऐसे लोगों को व्यापार तथा विदेशों में कार्य करने के दौरान भी सफलता मिलती है। गजलक्ष्मी योग रखने वाला व्यक्ति जीवन में पूर्ण सफलता प्राप्त करता है और मौत के बाद भी उनकी कीर्ति यथावत बनी रहती है।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.