300 रुपये कैरेट में बिकने वाला टमाटर अब 100 रुपये में, मिर्ची ने भी रुलाया

खंडवा। खंडवा जिले में पिछले दिनों हुई मावठे की वर्षा ने प्याज फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया। प्याज के छीलके खराब होने व सड़न लगने के कारण किसानों को मंडी में प्याज के भाव नहीं मिल रहे हैं। अब वर्षा रुकी और प्याज पर आया संकंट कम होने लगा तो किसानों को अब मिर्ची के घटे हुए दाम रुला रहे हैं। किसानों का यही हाल टमाटर ने भी किया है।

किसानों ने बताया कि मंडी में उपज का उचित दाम नहीं मिल रहा है। एक सप्ताह पहले तक 300 रुपये कैरेट में बिकने वाला टमाटर अब 100 रुपये कैरेट में बेचना पड़ रहा है। किसानों को पांच रुपये किलो में टमाटर बेचना पड़ रहे हैं। यही हाल मिर्ची के भी है।

किसानों के अनुसार मंडी में मिर्च 10 रुपये किलो और 100 रुपये कैरेट में खरीदी जा रही है। जबकि मिर्च के भाव 70 से 80 रुपये किलो थे, इन्हीं भाव को देखते हुए किसानों ने मिर्च लगाई। गिरते हुए दामों पर किसानों ने कहा कि हमारी लागत भी नहीं निकल रही हैं।

एक एकड़ में एक लाख तक आता है टमाटर का खर्च

किसानों के अनुसार एक एकड़ में टमाटर की लागत करीब एक लाख रुपये आती है। इसमें बीज 7200 का है। खेत तैयार करने के पांच हजार रुपये। पांच हजार लगाई, पांच हजार रुपये मजदूरों को निंदाई, डेढ़ क्विंटल तार लगता है फैंसिंग के लिए तार लगते हैं। बांस के गुदे लगते हैं, एक गुदा 20 रुपये पड़ता है। 2500 गुदे लग जाते हैं। टमाटर को तार फैलाने के बाद रस्सी से बांधना पड़ता इसमें लगभग पांच हजार रुपये खर्च करना पड़ते है।

ये है एक एकड़ में मिर्ची की लागत

किसानों के अनुसार एक एकड़ में बीज की मात्रा 80 ग्राम लगती है। अगर हम हाइब्रिड बीज का चुनाव करते है जिसके 10 ग्राम के पैकेट की किमत करीब 700 रुपये के आसपास होती है। एक एकड़ में बीज का खर्चा 5 हजार 600 रूपये बीज की जगह अगर हम सीधे नर्सरी से पौधे खरीदकर लाते है तो एक एकड़ में तक़रीबन 7,500 पौधे लगेगे एक पौधे की किमत 1.5 रुपये रहती है तो हमारा नर्सरी में पौधे का खर्चा 11,250 रुपए आएगा।

इसके बाद खेत की तैयारी का खर्चा 3000 रुपये, जैविक व रासायनिक खाद का खर्चा 8 हजार रुपये, स्प्रे का खर्चा 16,000 रुपये, खेत से मंडी तक का ट्रांसपोर्ट खर्चा 7,500 रुपये तक आता है। इसके अलावा इन सब खर्च को जोड़कर ण्एक एकड़ मिर्च की खेती की कुल लागत 55,000 रुपये के आसपास हो जाती है।

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