MP में ओबीसी नेताओं को आगे करेगी कांग्रेस, अरुण यादव को मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी

भोपाल। मध्य प्रदेश में भाजपा द्वारा डा. मोहन यादव के रूप में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से नया मुख्यमंत्री देने के बाद कांग्रेस में भी ओबीसी नेताओं को आगे करने की चर्चा शुरू हो गई है। दरअसल, दो अप्रैल को पार्टी के ओबीसी नेता राजमणि पटेल का राज्य सभा का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। उनके स्थान पर किसी अन्य ओबीसी नेता को फिर राज्य सभा भेजा जा सकता है।

उधर, लोकसभा चुनाव के दृष्टिगत पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव और जीतू पटवारी को बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। सीधी से कमलेश्वर पटेल को चुनाव लड़ाया जा सकता है। ओबीसी नेता के तौर पर पार्टी ने उन्हें आगे बढ़ाया है, पर वे सिहावल से विधानसभा चुनाव हार गए हैं।

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में जाति आधारित गणना के माध्यम से पिछड़ा वर्ग के मुद्दे को आगे रखा था। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने हर मंच से पिछड़ा वर्ग का मुद्दा उठाया। 62 टिकट ओबीसी वर्ग को दिए गए थे।

यह बात अलग है कि इसका चुनाव में कोई लाभ नहीं मिला। अन्य पिछड़ा वर्ग बहुल सीटों के हिसाब से देखें तो भाजपा ने 72 सीटों में 55 सीटों पर विजय प्राप्त की।

चुनाव के दौरान ओबीसी नेता अरुण यादव हाशिए पर रहे।स्टार प्रचारक होने के बाद भी उन्हें आगे नहीं बढ़ाया गया। उधर, जीतू पटवारी, कमलेश्वर पटेल और सिद्धार्थ कुशवाहा अपने-अपने क्षेत्र में फंसे रहे।

लोकसभा चुनाव के अब जब भाजपा ने डा. मोहन यादव के रूप में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से नया मुख्यमंत्री देकर नए नेतृत्व को आगे बढाया है तो कांग्रेस में भी इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि ओबीसी नेतृत्व को आगे करना होगा। इस बीच अरुण यादव को पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने दिल्ली बुलाया और विधानसभा चुनाव में करारी हार के साथ संगठन से जुड़ी जानकारियां लीं।

प्रदेश कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि उम्मीदवारों से संगठन की जो रिपोर्ट मांगी गई है, उसके आधार पर संगठन द्वारा निर्णय लिया जाएगा। राज्य सभा भी किसी पिछड़ा वर्ग के व्यक्ति को भेजा जा सकता है। पार्टी के पास इतने विधानसभा सदस्य हैं कि प्रदेश से रिक्त हो रहे राज्य सभा के पांच स्थानों में से एक पर अपना सदस्य भेज सकती है।

प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा का कहना है कि जो दल जाति आधारित गणना का पक्षधर हो, वह 56 प्रतिशत आबादी की उपेक्षा कैसे कर सकता है। हमने तो संगठन में हर वर्ग को प्रतिनिधित्व दिया है। कई मोर्चा-प्रकोष्ठ गठित किए हैं। हर वर्ग को उसके अनुपात में भागीदारी देने का पहले भी काम किया है और आगे भी करेंगे।

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