इन ग्रहों की युति करवाती है पति-पत्नी में झगड़ा, ये उपाय करेंगे तो परिवार में रहेगी शांति

इंदौर। पति-पत्नी का रिश्ता आपसी सामंजस्य और विश्वास पर टिका होता है। यदि इसमें थोड़ी भी अविश्वास की भावना आ जाती है और रिश्ते की डोर कमजोर होने लगती है। कई बार पति-पत्नी की रिश्तों को ग्रह दशा भी प्रभावित करती है और इस कारण से परिवार में तनाव रहने लगता है। पति-पत्नी में बहुत अधिक विवाद के कारण परिवार में अशांति छा जाती है। पंडित आशीष शर्मा इसके ज्योतिषीय कारणों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।

क्यों होता है पति-पत्नी में झगड़ा

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, पति-पत्नी में विवाद या प्रेम संबंधों के लिए दोनों की कुंडली में ग्रहों की स्थिति जिम्मेदार होती है। पंडित आशीष शर्मा के मुताबिक, पति का वैवाहिक जीवन जहां शुक्र ग्रह की स्थिति पर निर्भर करता है, वहीं पत्नी के वैवाहिक जीवन पर बृहस्पति ग्रह प्रभाव डालते हैं। इसके अलावा यदि पति-पत्नी की कुंडली में शनि, सूर्य, मंगल, राहु और केतु के कारण भी समस्याएं आ सकती है।

ग्रहों की युति

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, यदि कुंडली में गुरु शुभ तो पत्नी अपने पति को अपने वश में रखने की कोशिश करती है। इसके अलावा यदि किसी स्त्री की कुंडली में गुरु उच्च स्थिति में है तो पुरुष को धन की भी प्राप्ति होती है। वहीं पुरुष की कुंडली में शुक्र अच्छी स्थिति में हो तो आज्ञाकारी पत्नी मिलती है। इसके अलावा लग्नेश और सप्तमेश अगर छठे, 8वें और 12वें भाव में हो तो पति-पत्नी के बीच बहुत विवाद होता है।

ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि कुंडली में सप्तमेश 6ठे, 8वें या 12वें घर में स्थित हो या सप्तमेश पंचम भाव में हो तो परिवार मे अशांति रहती है। सप्तम भाव में यदि क्रूर ग्रहों जैसे शनि, मंगल, सूर्य, राहु-केतु की दृष्टि हो तो भी पति-पत्नी में विवाद होता है।

जरूर आजमाएं ये उपाय

परिवार में शांति और पत्नी-पत्नी के बीच प्रेम के लिए रोज सोते समय तकिए के नीचे कपूर रखना चाहिए। इस कपूर को सुबह उठने के बाद जला देना चाहिए। ऐसा करने से पति-पत्नी के बीच प्रेम बना रहता है।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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