बैतूल। मावठा बरसने के बाद जैसे ही आसमान से काले बादलों की आवाजाही थमी वैसे ही जिले में ठंड के तेवर तीखे होने लगे हैं। दो दिन के भीतर ही पारा चार डिग्री नीचे आकर 13.2 डिग्री सेल्सियस पर ठहर गया है। आने वाले दिनों में इसके और लुढ़कने की संभावना बन रही है।
शनिवार को सुबह किसान जब खेतों में पहुंचे तो गेहूं की फसल पर ओस जमी हुई नजर आई। रात में कोहरा भी छाया रहा जो सुबह सूरज की रोशनी के साथ कम हो गया था। भू-अभिलेख कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक शनिवार का न्यूनतम तापमान 13.2 डिग्री और अधिकतम तापमान 25 डिग्री दर्ज किया गया। सात दिसम्बर को न्यूनतम तापमान 17.2 डिग्री पर था। दो दिन में तापमान लुढ़कर 13.2 डिग्री पर पहुंच गया है।
आसमान से काले बादल छटते ही ठंड ने अपना रंग दिखाना शुरू किया है। दिन और रात के समय ठंड का एहसास होने लगा है। दिन में गुनगुनी धूप तो निकल रही है, लेकिन सर्द हवा के कारण लोगों को गर्म कपड़ों का सहारा लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। शाम होते ही कड़ाके की ठंड का एहसास होने लगता है।
दो से तीन डिग्री की गिरावट की संभावना
मौसम केंद्र भोपाल के द्वारा भी शनिवार को जारी किए गए पूर्वानुमान में नर्मदापुरम, हरदा सहित कई जिलों में मध्यम से घना कोहरा छाए रहने की संभावना है। अगले 72 घंटे के दौरान न्यूनतम तापमान में दो से तीन डिग्री की गिरावट आने की भी संभावना जताई गई है। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि रबी फसल के लिए न्यूनतम तापमान 15 डिग्री से कम और अधिकतम तापमान 30 डिग्री से कम होना चाहिए।
इस बार तापमान मौसम अनुकूल बना हुआ है। मौसम अनुकूल होने से फसलों पर भी कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा। ठंडा मौसम होने के कारण किसानों को फसलों की सिंचाई भी कम करनी पड़ेगी। ठंड में नमी बरकरार रहती है। जिससे फसलों की अधिक सिंचाई नहीं करना पड़ता है। ठंड के कारण गेहूं और चना की फसल को बेहद लाभ मिलता है।
सब्जी उगाने वालों को सतर्कता की सलाह
कृषि विज्ञान केंद्र बैतूलबाजार के वैज्ञानिक वीके वर्मा ने सब्जी की खेती करने वाले किसानों को सतर्कता बरतने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि पारा तेजी से लुढ़कता है तो पाला पड़ने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में किसानों को सब्जी की फसलों में सिंचाई करना चाहिए। खेतों की मेड़ पर धुआं करने के लिए व्यवस्था बनाने की भी जरूरत है।
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