नई दिल्लीः तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा को ‘पैसे लेकर सवाल पूछने’ के मामले में शुक्रवार को लोकसभा की आचार समिति की रिपोर्ट के आधार पर ‘अनैतिक एवं अशोभनीय आचरण’ के लिए सदन की सदस्यता से निष्कासित कर दिया गया। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मोइत्रा के निष्कासन का प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी।
इससे पहले सदन में लोकसभा की आचार समिति की रिपोर्ट पर चर्चा के बाद उसे मंजूरी दी गई जिसमें मोइत्रा को निष्कासित करने की सिफारिश की गई थी। विपक्ष विशेषकर तृणमूल कांग्रेस ने आसन से कई बार यह आग्रह किया कि मोइत्रा को सदन में उनका पक्ष रखने का मौका मिले, लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पहले की संसदीय परिपाटी का हवाला देते हुए इससे इनकार कर दिया।
कांग्रेस की ओर से मनीष तिवारी ने कहा कि वकालत पेशे में 31 साल के कॅरियर में उन्होंने जल्दबाजी में बहस जरूर की होगी, लेकिन सदन में जितनी जल्दबाजी में उन्हें चर्चा में हिस्सा लेना पड़ रहा है, वैसा कभी उन्होंने नहीं देखा। तिवारी ने कहा, ‘‘आसमान नहीं टूट पड़ता, यदि हमें तीन चार-दिन दे दिये जाते, ताकि हम (रिपोर्ट) पढ़कर सदन के समक्ष अपनी बात रखते।” उन्होंने सवाल खड़े किये कि क्या आचार समिति किसी के मौलिक अधिकारों का हनन कर सकती है? उन्होंने कहा कि यह कैसी न्याय प्रक्रिया है जिसके तहत अभियुक्त को अपनी बात रखने का मौका भी नहीं दिया गया।
तिवारी ने कहा, ‘‘समिति ये तो सिफारिश कर सकती है कि कोई व्यक्ति गुनहगार है या नहीं, लेकिन सजा क्या होगी, इसका फैसला सदन ही कर सकता है। समिति सदस्यता रद्द करने का निर्णय कैसे ले सकती है।” उन्होंने तीन दलों द्वारा अपने सदस्यों को व्हिप जारी करने पर सवाल खड़े किये और कहा कि सदन की कार्यवाही तत्काल स्थगित करने और व्हिप वापस लेने का आदेश दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मामले में यहां उपस्थित सदस्य न्यायाधीश के रूप में हैं न कि पार्टी सदस्य के रूप में। इस पर अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि यह संसद है न कि अदालत। उन्होंने कहा, ‘‘यह संसद है न कि कोर्ट है। मैं न्यायाधीश नहीं हूं, सभापति हूं…यहां मैं निर्णय नहीं कर रहा, बल्कि सभा निर्णय कर रही है।”
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सांसद हिना गावित ने कहा कि महुआ मोइत्रा के खिलाफ ‘रिश्वत लेकर सवाल पूछने’ के आरोप से जुड़े प्रकरण के चलते पूरी दुनिया में भारतीय सांसदों की छवि धूमिल हुई है। मोइत्रा के मामले से संबंधित आचार समिति की रिपोर्ट पर लोकसभा में चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा सांसद हिना गावित ने कहा कि मोइत्रा ने नियम तोड़ा है तथा कानून से ऊपर कोई नहीं है। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि वर्ष 2005 में इसी तरह के एक प्रकरण में कांग्रेस की सरकार के समय जिस दिन रिपोर्ट आई थी, उसी दिन 10 सांसदों को सदन से बाहर निकाला गया था और उन्हें भी अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया था।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.