ग्वालियर। जनता के कामों के लिए तैनात अफसरों के पास समाधान नहीं पेंडेंसी हैं। राजस्व न्यायालयों का इतना बुरा हाल है कि आंकड़े सुनकर हैरानी होगी। कलेक्टर हों या नायब तहसीलदार सबके खाते में पेंडेंसी के केस भरमार हैं। चौंकाने वाली बात यह भी है कि जिले की कमान संभालने वाले खुद कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह के न्यायालय में सबसे ज्यादा केस पेंडिंग हैं, इनकी संख्या 9 हजार पार है। ग्वालियर के सभी राजस्व न्यायालयों का कुल आंकड़ा इतना भारी भरकम हो गया है, जोकि 32 हजार पर पहुंच गया है। राजस्व के मुखिया जिले के कलेक्टर ही होते हैं, उनके अफसरों के न्यायालयों में सैकड़ों ही नहीं हजारों की संख्या में यह केस साफ बता रहे हैं कि चंद दिनों की यह पेंडेंसी तो नहीं काम तो पहले से सुस्त था। अकेले चुनाव का बहाना कामों की पेंडेंसी को लेकर बनाया जाएगा तो
यह ठीक नहीं होगा। सब डिवीजनों के मुखियाओं के यहां भी केसों के ढेर हैं। राजस्व न्यायालयों में इस तरह के ज्यादा मामले: राजस्व न्यायालयों में सबसे ज्यादा सीमांकन, नामांतरण, बंटवारा, इंद्राज दुरूस्ती, डायवर्सन के मामले होते हैं। इंद्राज दुरूस्ती के मामले एसडीएम कोर्ट में ज्यादा होते हैं, जिसका अनुमोदन अपर कलेक्टर के यहां जाता है। अनुमोदन पांच साल से ज्यादा के मामलों में अपर कलेक्टर से लिया जाता है। कलेक्टर कोर्ट में आबादी सहित अलग अलग मामले होते हैं।
पेंडेंसी का हाल: कलेक्टर से नायब तहसीलदार तक
1-कलेक्टर से लेकर बड़े अफसर
कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह के न्यायालय में 9912 केस वर्तमान में पेंडिंग पड़ें हैं जिनका निराकरण होना है। इसके बाद अपर कलेक्टर शहर के यहां 18 केस पेंडिंग है। इसी तरह अपर कलेक्टर ग्रामीण के यहां 100 केस पेंडिंग स्थिति में पड़े हुए हैं।
2-सब डिवीजन के प्रभारियों के हाल
- उप खंड अधिकारी लश्कर- 268 केस
- उप खंड अधिकारी झांसी रोड-410 केस
- उप खंड अधिकारी ग्वालियर ग्रामीण-179 केस
- उप खंड अधिकारी भितरवार-390 केस
- उप खंड अधिकारी घाटीगांव-306 केस
3-तहसीलदारों की स्थिति
- न्यायालय तहसीलदार सिटी सेंटर- 494 केस
- न्यायालय तहसीलदार मुरार- 2680 केस
- न्यायालय तहसीलदार भितरवार- 466 केस
- न्यायालय तहसीलदार डबरा- 1475 केस
- न्यायालय तहसीलदार तानसेन- 445 केस
- न्यायालय तहसीलदार घाटीगांव-706 केस
4-नायब तहसीलदारों के यहां पेंडेंसी
- देवरीकलां तहसील भितरवार- 337
- बिलौआ तहसील डबरा-382
- आंतरी तहसील चीनोर-237
- गिरवाई, तहसील ग्वालियर-353
- मेहरा, तहसील सिटी सेंटर-542
- पुरानी छावनी,तहसील ग्वालियर-1132
- बहोड़ापुर, तहसील ग्वालियर-657
- उटीला, तहसील सिटी सेंटर-259
- छीमक,तहसील डबरा-788
- लश्कर,तहसील ग्वालियर-409
- सुपावली, तहसील मुरार-1748
- पिछोर, तहसील डबरा-1373
- कुलैथ, तहसील ग्वालियर-440
- सांखनी, तहसील भितरवार-665
- बेहट, तहसील तानसेन-260
- सिरसौद, तहसील तानसेन-431
- रेंहट,घाटीगांव तहसील-310
राजस्व न्यायालयों में इस तरह के ज्यादा मामले
राजस्व न्यायालयों में सबसे ज्यादा सीमांकन,नामांतरण,बंटवारा, इंद्राज दुरूस्ती,डायवर्सन के मामले होते हैं। इंद्राज दुरूस्ती के मामले एसडीएम कोर्ट में ज्यादा होते हैं जिसका अनुमोदन अपर कलेक्टर के यहां जाता है। अनुमोदन पांच साल से ज्यादा के मामलों में अपर कलेक्टर से लिया जाता है। कलेक्टर कोर्ट में आबादी सहित अलग अलग मामले होते हैं।
विधानसभा चुनाव की व्यस्तता के चलते राजस्व के मामलों में पेडेंसी हुई है, अब काम काज शुरू हो गया है। कलेक्टर कोर्ट में आबादी के ज्यादा मामले हैं, अब समीक्षा कर अधिकारियों को निर्देशित किया जाएगा।
अक्षय कुमार सिंह, कलेक्टर
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