इंदौर। सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। प्रदोष व्रत भगवान शिव की आराधना को समर्पित माना जाता है। यह व्रत महीने में दो दिन रखा जाता है। इस महीने यह व्रत 10 दिसंबर, रविवार को रखा जाएगा। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, प्रदोष, चंद्र कलाओं से भरा होता है। हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस व्रत के प्रभाव से चंद्र ग्रह से जुड़े दोष समाप्त हो जाते हैं। साथ ही संतान सुख भी प्राप्त होगा।
प्रदोष व्रत पूजा विधि
प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। फिर साफ कपड़े पहन लें। अगर आप प्रदोष व्रत करना चाहते हैं, तो भगवान के सामने व्रत करने का संकल्प लें। भगवान शिव का गंगा जल से जलाभिषेक करें। इसके बाद दीपक जलाएं और विधि-विधान से पूजा करें। शिव मंत्रों का जाप करें। अंत में भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें। इसके बाद आप अगले दिन व्रत का पारण शिव प्रसाद से ही करें।
प्रदोष व्रत पूजा-सामग्री
लाल या पीला गुलाल, अक्षत, कलावा, चिराग, फल, फूल, सफेद मिठाई, सफेद चंदन, बेलपत्र, धागा, कपूर, धूपबत्ती, घी, गुड़, शक्कर, गन्ने का रस, गाय का दूध, अबीर, धतूरा, भांग, जनेऊ, अगरबत्ती, दीपक, आक के फूल, 5 प्रकार के मौसमी फल आदि।
डिसक्लेमर
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