भिंड। भिंड विधानसभा की कुछ सीटों के परिणाम चौकाने वाले रहे। लहार में 33 साल बाद कांग्रेस का किला ढह गया। वहीं अटेर विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी एवं सहकारिता मंत्री डा अरिविंद सिंह भदौरिया, गोहद से भाजपा प्रत्याशी और अजा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री लाल सिंह आर्य अपनी सीट नहीं बचा पाए। वहीं गोहद विस में कांग्रेस और भाजपा के बीच जीत का अंतराल सबसे कम रहा।
भिंड विधानसभा की पांच सीटों में से भिंड, लहार, मेहगांव की सीट पर भाजपा ने कब्जा कर लिया। जबकि अटेर और गोहद विधान सभा सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज कराई है। भिंड विस में भाजपा प्रत्याशी नरेंद्र सिंह कुशवाह ने कांग्रेस के प्रत्याशी चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी को 15 हजार 018 वोट से हरा दिया। भाजपा को 65 हजार 588, कांग्रेस को 50 हजार 570 और बसपा को 34 हजार 583 वोट मिले।
बता दें कि वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी संजीव सिंह ने करीब 35 हजार वोट से कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशी को हराया था। वहीं इस बार संजीव सिंह तीसरे स्थान पर रहे। भाजपा में शामिल होने के बाद भी संजीव सिंह को पार्टी ने टिकट नहीं दिया गया। इस वजह से उन्होंने पार्टी से नाराज होकर बसपा से चुनाव लड़ा था, लेकिन इसका कोई भी नुकसान भाजपा प्रत्याशी को नहीं हुआ।
मेहगांव विधानसभा
मेहगांव विधानसभा में भाजपा प्रत्याशी राकेश शुक्ला ने नेता प्रतिपक्ष के भांजे एवं कांग्रेस प्रत्याशी राहुल भदौरिया को 22 हजार 227 वोट से मात दे दी। भाजपा को 86 हजार 510, कांग्रेस को 64 हजार 283 और बसपा को 19 हजार 416 वोट मिले।
अटेर विधानसभा
अटेर विधानसभा में कांग्रेस प्रत्याशी हेमंत कटारे ने भाजपा प्रत्याशी एवं सहकारिता मंत्री डा अरविंद सिंह भदौरिया को 19 हजार 788 वोट से हरा दिया। यहां भाजपा को 48 हजार 819, कांग्रेस को 68 हजार 607 और सपा को 10 हजार 208 वोट मिले। लहार विधानसभा में भाजपा प्रत्याशी अंबरीष शर्मा ने कांग्रेस ने नेता प्रतिपक्ष एवं सात बार के विधायक डा गोविंद सिंह को 12 हजार 906 वोट से हरा दिया।
गोहद विधानसभा
गोहद विधानसभा में कांग्रेस प्रत्याशी केशव देसाई ने भाजपा प्रत्याशी, अजा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व राज्यमंत्री लाल सिंह आर्य को 607 वोटों से हरा दिया। यहां कांग्रेस को 69 हजार 941, भाजपा को 69 हजार 334 और बसपा को 2 हजार 919 वोट मिले।
बागी नहीं बिगाड़ पाए समीकरण
भिंड और लहार विधानसभा में बागी भाजपा का समीकरण नहीं बिगाड़ सके। लहार विधानसभा से भाजपा से टिकट कटने के बाद चार बार के विधायक रसाल सिंह ने पार्टी से इस्तीफा देकर चुनाव लड़ा था, लेकिन उनके चुनावी मैदान में उतरने से भाजपा प्रत्याशी को नुकसान होने बजाय फायदा हो गया। इसी तरह भाजपा में शामिल होने के बाद संजीव सिंह का पार्टी ने टिकट का दिया था। इससे नाराज होकर संजीव सिंह ने बसपा से चुनाव लड़ा, फिर भी भाजपा प्रत्याशी पर इसका कोई असर पड़ता हुआ दिखाई नहीं दिया।
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