इंदौर। ऊंचाई पर चढ़ते झूले का मजा लेते हुए जो रोमांच होता है, कुछ ऐसा ही अहसास ताजा विधानसभा चुनाव के परिणामों से इंदौर भाजपा को हो रहा है। इंदौर ने भाजपा को प्रदेश में सबसे बड़ी जीत का तोहफा तो दिया ही है। विधानसभा के लिए अब तक की सबसे बड़ी विधायकों की टीम भी सौंप दी है। 30 वर्षों बाद इंदौर जिले में भाजपा ने क्लीन स्वीप किया है। पहली बार है जब नौ में से नौ सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार विजयी हुए हैं। इसके साथ मप्र की सत्ता से कांग्रेस का 25 साल का बिछोह भी तय हो गया है।
परिणामों के साथ अब कांग्रेस के लिए अपने कार्यकर्ताओं को अगले पांच वर्षों के लिए संभालकर रखना और संगठन से जोड़े रखना बड़ी चुनौती बनता दिख रहा है।
कमी कहां रह गई
कांग्रेस ने ताजा चुनावों के लिए कम से कम साढ़े तीन साल की तैयारी की थी। टिकट से पहले पार्टी स्तर पर फीडबैक लेने के साथ स्वतंत्र एजेंसियों से भी सर्वेक्षण करवाए गए थे। इसके बाद भी परिणाम कांग्रेस को सोचने पर मजबूर कर रहे हैं कि आखिर कमी कहां रह गई। अति आत्मविश्वास या भाजपा का कांग्रेस पर उसी के हथियार से वार। भाजपा ने पहली सूची कांग्रेस से काफी पहले घोषित कर दी। इसमें ऐसे वरिष्ठ नेताओं के नाम थे, जिन्हें कांग्रेस उम्रदराज और जीत की दौड़ से दूर मान बैठी थी।
राऊ से मधु वर्मा का नाम इसमें शामिल था जिन्होंने कांग्रेस के कद्दावर नेता और कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी पर बड़ी जीत हासिल की है। इसी तरह कांग्रेस ने चुनाव से एक साल पहले महिला सम्मान योजना और तमाम घोषणाएं कर दी थी उसे बढ़त की उम्मीद थी। भाजपा ने उसी तर्ज पर लाड़ली बहना का ऐलान किया और लागू करते हुए खातों में राशि पहुंचा भी दी।यानी कांग्रेस की घोषणा से पहले उस पर अमल करते हुए उसी को उसी के हथियार से मात दे दी। प्रधानमंत्री मोदी का रोड शो बड़ा फैक्टर बनकर उभरा।
कैसे बचेगा संगठन
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.