MP Election Results 2023: 30 साल में भाजपा की सबसे बड़ी जीत, 25 साल से कांग्रेस सत्ता से दूर

इंदौर। ऊंचाई पर चढ़ते झूले का मजा लेते हुए जो रोमांच होता है, कुछ ऐसा ही अहसास ताजा विधानसभा चुनाव के परिणामों से इंदौर भाजपा को हो रहा है। इंदौर ने भाजपा को प्रदेश में सबसे बड़ी जीत का तोहफा तो दिया ही है। विधानसभा के लिए अब तक की सबसे बड़ी विधायकों की टीम भी सौंप दी है। 30 वर्षों बाद इंदौर जिले में भाजपा ने क्लीन स्वीप किया है। पहली बार है जब नौ में से नौ सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार विजयी हुए हैं। इसके साथ मप्र की सत्ता से कांग्रेस का 25 साल का बिछोह भी तय हो गया है।

ताजा परिणामों से भाजपा के लोगों की आंखें भी हैरत से फटी दिख रही हैं। विश्लेषक अब जीत को लाड़ली बहना की सफलता और मोदी मैजिक जैसे पैमानों पर तौलेंगे लेकिन कांग्रेस के लिए इस हार को समझ पाना और उबर पाना आसान नहीं होगा। इससे पहले भाजपा ने 1993 में जिले की सभी विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी। हालांकि तब राऊ विधानसभा सीट नहीं बनी थी और आठ में से आठ सीटें भाजपा को मिली थीं।
रविवार को रुझानों के साथ ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं के हताश चेहरे कहानी बयां कर रहे थे। 2018 में 16 महीने के लिए सत्ता में वापसी करने के साथ कांग्रेस ने जैसे-तैसे संगठन को खड़ा करने की कोशिश की थी। इन चुनावों से पहले कमल नाथ की अगुवाई में कांग्रेस बीते वर्षों से कहीं ज्यादा आत्मविश्वास से भरी दिख रही थी। दावा भी किया जा रहा है कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बीते दौर में सबसे ज्यादा मेहनत इन चुनावों में की है।

परिणामों के साथ अब कांग्रेस के लिए अपने कार्यकर्ताओं को अगले पांच वर्षों के लिए संभालकर रखना और संगठन से जोड़े रखना बड़ी चुनौती बनता दिख रहा है।

कमी कहां रह गई

कांग्रेस ने ताजा चुनावों के लिए कम से कम साढ़े तीन साल की तैयारी की थी। टिकट से पहले पार्टी स्तर पर फीडबैक लेने के साथ स्वतंत्र एजेंसियों से भी सर्वेक्षण करवाए गए थे। इसके बाद भी परिणाम कांग्रेस को सोचने पर मजबूर कर रहे हैं कि आखिर कमी कहां रह गई। अति आत्मविश्वास या भाजपा का कांग्रेस पर उसी के हथियार से वार। भाजपा ने पहली सूची कांग्रेस से काफी पहले घोषित कर दी। इसमें ऐसे वरिष्ठ नेताओं के नाम थे, जिन्हें कांग्रेस उम्रदराज और जीत की दौड़ से दूर मान बैठी थी।

राऊ से मधु वर्मा का नाम इसमें शामिल था जिन्होंने कांग्रेस के कद्दावर नेता और कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी पर बड़ी जीत हासिल की है। इसी तरह कांग्रेस ने चुनाव से एक साल पहले महिला सम्मान योजना और तमाम घोषणाएं कर दी थी उसे बढ़त की उम्मीद थी। भाजपा ने उसी तर्ज पर लाड़ली बहना का ऐलान किया और लागू करते हुए खातों में राशि पहुंचा भी दी।यानी कांग्रेस की घोषणा से पहले उस पर अमल करते हुए उसी को उसी के हथियार से मात दे दी। प्रधानमंत्री मोदी का रोड शो बड़ा फैक्टर बनकर उभरा।

कैसे बचेगा संगठन

अब जब परिणाम घोषित हो गए हैं तो कांग्रेस के अंदर से सवाल खड़े होंगे कि आखिर क्यों सात वर्षों से इंदौर शहर में कांग्रेस कार्यकारिणी घोषित नहीं कर सकी। कार्यकर्ता पहले नाराज थे कि 2018 में सत्ता मिलने के बाद नेता उसे संभाल नहीं सके न कार्यकर्ताओं को लाभ दिया। अब बिना सत्ता के सूखे में कार्यकर्ता विपक्ष में पार्टी के झंडे उठाने के लिए मुश्किल से राजी होगा। आने वाले आम चुनाव में कांग्रेस के लिए लोकसभा क्षेत्र से अदद उम्मीदवार ढूंढना भी चुनौती से कम नहीं होगा। क्योंकि लोकसभा चुनाव में मुकाबला मोदी के चेहरे से करना है।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.