जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने कांग्रेस नेता उमंग सिंघार के विरुद्ध दर्ज एफआइआर निरस्त कर दी है। मामला चुनाव प्रचार वाहन में शराब मिलने से संबंधित था। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया कि पुलिस मेमोरेंडम में याचिकाकर्ता के नाम का खुलासा नहीं किया गया था। इसके अलावा गवाहों ने भी याचिकाकर्ता का नाम नहीं लिया।
ये है पूरा मामला
दरअसल, पूर्व मंत्री सिंघार गंधवानी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी हैं। उनके अनुमति प्राप्त प्रचार वाहन से शराब जब्त हुई थी। गंधवानी पुलिस ने उमंग सिंघार सहित सीताराम केशरिया व सचिन मूलेवा के विरुद्ध आबकारी अधिनियम सहित लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम धारा 120 बी, 188 तथा 171 के तहत प्रकरण दर्ज किया था। मामले में आरोपित बनाए जाने के विरुद्ध उमंग सिंघार ने हाई कोर्ट की शरण ली थी। प्रारंभिक सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने अंतरिम आदेश के जरिये याचिकाकर्ता के विरुद्ध कार्रवाई पर रोक लगा दी थी।
छवि धूमिल करने का आरोप
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि जिस वाहन में शराब जब्त हुई थी, वह उनके चुनाव प्रचार में लगा हुआ था। वाहन में शराब रखे होने की उन्हें कोई जानकारी नहीं थी। वह प्रत्याशी हैं और उनकी छवि धूमिल करने के लिए उनके विरुद्ध षड्यंत्र के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है। वाहन से जब शराब जब्त हुई तो वह उपस्थित नहीं थे। इसके बावजूद भी प्रकरण में उन्हें आरोपित बनाया गया है। मामले में शासन की ओर से याचिकाकर्ता को मिली राहत बरकरार रखते हुए समय प्रदान करने का आग्रह किया गया।
इंदौर खंडपीठ के आधिकार क्षेत्र
वहीं आवेदक की ओर से कहा गया कि मतगणना तीन दिसंबर को होनी है, इसके पहले याचिका पर सुनवाई की जाए। इस बात की प्रबल संभावना है कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने पर वह कैबिनेट मंत्री बनाए जाएंगे। वहीं शासन की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में याचिका दायर करना चाहिए थी। अपराध जिला स्थान में घटित हुआ वह इंदौर खंडपीठ के आधिकार क्षेत्र में आता है। जिस पर याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि सांसद और विधायक के लिए मुख्य न्यायाधीश ने कोर्ट का निर्धारण किया है।
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