तीन महीने के भीतर 85 से ज्यादा कंपनियों ने 375 विद्यार्थी को चुना है। यह संख्या अपेक्षाकृत कम है। इस संख्या से भी साबित होता है कि पिछले साल की तुलना में इस बार का प्लेसमेंट थोड़ा धीमा है।
जानकारों के मुताबिक कोरोना काल में कई कंपनियों ने जाब प्रोफाइल खत्म कर लोगों को नौकरी से निकाल दिया था। किंतु कोरोना काल के बाद जब स्थिति सामान्य हुई, तो कंपनियों ने आवश्यकता से अधिक लोगों को नौकरियां आफर कीं। उसका असर इस साल प्लेसमेंट में दिखाई दे रहा है। अब कंपनियां काफी सोच-विचार कर विद्यार्थियों का चयन करने में जुटी हैं। सामान्य ज्ञान के अलावा कंपनियां छात्र-छात्राओं में कम्युनिकेशन स्किल और प्रोजेक्ट नालेज को परखने में लगी हैं।
आइटी कंपनी में सबसे कठोर पैमाना
इस साल जून में विदेशी आइटी कंपनियों ने जबर्दस्त झटका दिया था। उन्होंने सैकड़ों की संख्या में कर्मचारियों को नौकरियों से निकाला था। इससे वहां से भारतीय कंपनियों को मिलने वाले प्रोजेक्ट बंद हो गए। आइटी में नौकरियां फ्रिज होने से इससे जुड़े तकनीकी व गैर तकनीकी क्षेत्र पर भी बुरा असर पड़ा है। यही कारण है कि कंपनियां प्लेसमेंट में इस बार कम रुचि दिखा रही हैं और अधिक कठोर पैमाना अपना रही हैं।
सेंट्रल प्लेसमेंट सेल के सदस्यों के मुताबिक पिछले साल दिसंबर तक 100 कंपनियों में विश्वविद्यालय के 70 फीसद छात्र-छात्राओं को नौकरियां मिल चुकी थीं, जबकि इस बार 45 प्रतिशत विद्यार्थियों के पास ही जाब के आफर हैं।
पैकेज में 30 फीसद की बढ़ोत्तरी
भले ही विश्वविद्यालय में प्लेसमेंट संबंधी गतिविधियां इस बार थोड़ी धीमी चल रही हों, लेकिन जिन विद्यार्थियों को जाब आफर मिले हैं, उन्हें कंपनी की तरफ से अच्छा वेतन दिया जाएगा। पिछले साल सबसे कम पैकेज पांच लाख रुपये सालाना का मिला था, मगर इस बार आठ लाख रुपये सालाना तक की नौकरियां मिल रही है।
इस बार सर्वाधिक पैकेज अब तक 18 लाख रुपये सालाना तक पहुंचा है। वैसे फिलहाल यह आफर आइआइपीएस के विद्यार्थी के पास है। विशेषज्ञों के मुताबिक दिसंबर-जनवरी के बीच 60 कंपनियों के आने की उम्मीद है। उनकी तरफ से अब केवल तारीख मिलना बाकी है।
परखने के मापदंड बढ़ाए
विश्वविद्यालय में प्लेसमेंट के लिए कंपनियां पहुंच रही हैं, लेकिन इस बार विद्यार्थियों को परखने के लिए मापदंड थोड़े सख्त कर दिए गए हैं। विषय का ज्ञान, कम्युनिकेशन स्किल, प्रोजेक्ट से संबंधित जानकारियों के अलावा विभिन्न विदेशी भाषाओं की समझ जरूरी है। कई कंपनियां चयन की प्रक्रिया के तहत लिखित परीक्षा, ग्रुप डिस्कशन और साक्षात्कार की कसौटी पर विद्यार्थियों को परख रही हैं। यही वजह है कि कंपनियों में कम छात्र-छात्राएं चयनित हो पा रहे हैं।
85 कंपनियों में 375 जाब आफर
विश्वविद्यालय में पंद्रह विभागों के विद्यार्थियों को नौकरी दिलाने की जिम्मेदारी सेंट्रल प्लेसमेंट सेल (सीपीसी) के पास है। आइएमएस में 17 कंपनियां आ चुकी हैं, जिनमें 95 छात्र-छात्राओं को जाब आफर हुए है। आइआइपीएस में 20 कंपनियों ने 28 विद्यार्थियों, आइईटी में 40 कंपनियों ने 252 और अर्थशास्त्र में 7 कंपनियों ने 15 विद्यार्थियों को नौकरियां दी हैं।
विशेषज्ञ कहते हैं…
– आइएमएस के प्लेसमेंट अधिकारी अवनीश व्यास और डा. निशिकांत वाइकर ने बताया कि बाजार मंदा होने से प्लेसमेंट पर असर दिखा रहा है। बल्क चयन के बजाय कंपनियां पांच से सात टाप प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को ही चुन रही हैं। घरेलू कंपनियों की संख्या जाब आफर देने में अधिक है। मल्टीनेशनल कंपनियों के जनवरी में आने की उम्मीद है।
– आइईटी के प्लेसमेंट अधिकारी डा. गोविंद माहेश्वरी का कहना है कि 40 कंपनियों में 252 विद्यार्थी चयनित हुए हैं, मगर इतनी संख्या में विद्यार्थी पिछले साल केवल 15 कंपनियों में ही चयनित हो चुके थे। तब दो कंपनियों ने 100 विद्यार्थियों को जाब आफर किए थे। मगर इस बार प्लेसमेंट गतिविधि काफी धीमी है।
– आइआइपीएस के डा. सुरेश पाटीदार और डा. नितिन नागर ने बताया कि प्लेसमेंट के लिए विद्यार्थियों को कई मापदंड पर परखा जा रहा है। कम्युनिकेशल स्किल और संबंधित प्रोजेक्ट से जुड़े ज्ञान पर अधिक जोर दिया जा रहा है।
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