शहरी क्षेत्र में किराए पर चल रही 57 में से 49 आंगनबाड़ियां, वजन मापने की मशीने तक खराब

जावरा। शहर में कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर उन्हे सुपोषित करने की जिम्मेदारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं की है। एक तरफ जहां शहर की 49 आंगनबाड़ी किराए के भवनों में चल रही है। वहीं कई आंगनबाड़ियों में बच्चों की वजन मापने वाली इलेक्ट्रानिक मशीन खराब पड़ी है। जबसे केंद्रों की मशीने खराब हुई, तब से कार्यकर्ताओं को अन्य केंद्रों से मशीनें लेकर अपना काम चलाना पड़ रहा है और बच्चों का वजन करना पड़ रहा है।

गर्भवती माताओं के वजन जांचने की मशीने भी अधिकांश जगहों पर खराब पड़ी है। सिर्फ शहर की ही बात करें तो 57 आंगनबाड़ी केंद्र है। इनमें से पहले ही करीब 49 आंगनबाड़ी केंद्र किराए के भवनों में संचालित हो रही है। वहीं करीब कुछ आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के वजन मापने की मशीन खराब पड़ी है। नई मशीने अभी जिले से मिली नहीं, ऐसे में कार्यकर्ताओं को अन्य केंद्रों की मशीनों से काम चलाना पड़ रहा है।

मशीनों की हालत खस्ता

कार्यकर्ताओं की माने तो मशीन से आंगनबाड़ी केंद्र पर आने वाले 0 से 5 साल तक के बच्चे का वजन लेना होता है। जिसकी रिपोर्टिंग की जाती है और बच्चे के ग्रोथ चार्ट में शामिल किया जाता है। यही डाटा आगे भेजा जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ मशीने पहले आई थी लेकिन शहरी क्षेत्र में कुछ केंद्रों पर मशीनों की हालत खस्ता है। मशीनों द्वारा नापे गए बच्चों के वजन से पता चलता है कि बच्चा सामान्य, कुपोषित है या अतिकुपोषित की श्रेणी में है। अतिकुपोषित बच्चों को अस्पताल रेफर किया जाता है। ऐसे में विभाग को चाहिए कि कार्यकर्ताओं को मशीने उपलब्ध कराएं।

कुपोषित-सुपोषित में अंतर करने के लिए वजन है मापदंड

कुपोषण को समाप्त करने के लिए लगातार अभियान चलाए जाते रहे है। इस दौरान कुपोषित और सुपोषित में अंतर करने के लिए लंबाई के साथ वजन का एक मापदंड बनाया गया है। इसके आधार पर गर्भवती माताओं, किशोरियों सहित बच्चों को चिन्हित कर उन्हें कैटेगरी के मान से रखा जाता है। इसके लिए वजन मशीन जरूरी है। ताकि प्रतिमाह उनकी जांच हो और अगर कुपोषण की स्थिति बन रही है तो उन्हें संतुलित डाइट देकर सुपोषित किया जा सके।

बच्चों के वजन जांचने की मशीन जो खराब हो चुकी है जिसकी जानकारी एवं डिमांड उच्च कार्यालय में भेज दी है, जल्द ही मशीनें आते ही दी जाएगी। -अंकिता पाटीदार, परियोजना अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग, जावरा

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